कमल की कलम से – दिल्ली के सुप्रसिद्ध काश्मीरी गेट का नाम तो जरूर ही सुना होगा, तो आज ले चलते हैं आपको दिल्ली काश्मीरी गेट

हेमेंदु कमल

आप सबों ने दिल्ली के सुप्रसिद्ध काश्मीरी गेट का नाम तो जरूर ही सुना होगा। देखा भी होगा। पर ये है क्या इससे आप लोग शायद परिचित नहीं होंगे। तो आज ले चलते हैं आपको दिल्ली काश्मीरी गेट।

कश्मीरी गेट किधर है ?

कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन से बाहर निकल कर जब हमने किसी से भी पूछा कि कश्मीरी गेट किधर है तो सबने एक ही जवाब दिया जहाँ आप खड़े हैं वही है कश्मीरी गेट। आगे लोग पूछते कश्मीरी गेट में कहाँ जाना है ? मेरे जवाब देने पर कि अरे भाई मुझे कश्मीरी गेट पर ही जाना है, लोग हँसते कि जबतक उस जगह का नाम नहीं बताएँगे कि कश्मीरी गेट में कहाँ जाना है कैसे पता चलेगा !

GPS का सहारा लिया

मुझे तो इतना ही पता था कि मेट्रो के पास ही है लिहाजा हमने GPS का सहारा लिया। GPS बता रहा था कि 200 मीटर की दूरी पर है पर पैदल रास्ता 15 मिनट दिखा रहा। समझ नही पाया कि 200 मीटर जाने में 15 मिनट क्यों । खैर जब चलना शुरू किया तो समझ में आ गया कि समय इतना ज्यादा क्यों। दरअसल हम गलत मेट्रो गेट से निकले थे जो उल्टी दिशा में था। यदि आप मेट्रो के गेट संख्या 1 से निकलेंगे तो बाहर रिट्ज सिनेमा हॉल है उसके सामने ही कश्मीरी गेट है। 2 मिनट का रास्ता। ये भी समझ में आ गया कि ये देखने नहीं आते लोग तो पूछने पर उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनसे कश्मीरी गेट मोनुमेंट्स के बारे में पूछा जा रहा।

 

जर्जर हालत में उपेक्षा का शिकार, रंग रोगन और मरम्मत देख हुई तसल्ली

खैर, जब वहाँ पहुँचा तो उसकी जर्जर हालत में उपेक्षा का शिकार होते देख अच्छा नहीं लगा। पर उसमें काम लगा हुआ था। शायद रंग रोगन या मरम्मत हो रहा हो ये पा कर कुछ तसल्ली भी हुई। जब वहाँ लगे शिलापट्ट को पढ़ा तो समझ में नहीं आया कि उसे बनाया किसने है ? लिखा था कि इसे शाहजहां ने बनवाया जबकि इन्टरनेट पर उपलब्ध आंकड़े कहते हैं कि इसे सन 1835 ईसवी में मिलिट्री इंजीनियर रॉबर्ट स्मिथ ने बनवाया था।

दिल्ली को दीवारों से घेरने के लिए उसने चार गेट बनवाये जिसमें कश्मीरी गेट उत्तर दिशा में बनवाया गया और क्योंकि यहीं से कश्मीर के लिए रोड निकलती थी इसलिए इसका नाम “कश्मीरी गेट ” कहलाया।

 

पता नहीं इसे बनबाया किसने ?

कश्मीरी गेट को सन 1857 के आंदोलन में आंदोलनकारियों को शहर में रोकने के लिए उपयोग में लाया गया और धीरे धीरे इस जगह को अंग्रेजों ने खाली कर के सिविल लाइन्स में अपने रहने को घर बना लिए।

इतिहासकार की जानकारी के अनुसार अंग्रेज़ों ने इस दरवाजे को विद्रोहियों को नगर में प्रवेश से रोकने हेतु प्रयोग किया था। आज दिखाई देने वाली दीवार में उस समय के हमलों के गवाह तोप के गोलों से हुई नुकसान के निशानों के रूप में नजर आ रहे। कश्मीरी दरवाजा 1857 के संग्राम के समय हुए एक महत्त्वपूर्ण ब्रिटिश हमले का गवाह भी है । इसमें 14 सितंबर, 1857 की सुवह ब्रिटिश सेनाओं ने एक पुल एवं दरवाजे का बायां भाग तोप से ध्वस्त कर उसमें रास्ता बनाकर दिल्ली को फिर से हासिल किया था एवं इस विद्रोह का खात्मा किया था।

यहाँ पहुँचना बहुत आसान है

मेट्रो स्टेशन कश्मीरी गेट का गेट संख्या 1, मोरी गेट से लाल किला की तरफ जाने वाली हर बस यहाँ से गुजरती है। जैसे 729 नम्बर की बस। बस स्टैंड का नाम है इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय। इसके सामने ही ये गेट है।

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