
भारतीय वायु सेना का शानदार इतिहास यदि देखना और समझना चाहते हैं तो चलिए आप मेरे साथ पालम स्थित वायु सेना का इकलौता संग्रहालय। संग्रहालय कई भागों में बंटा हुआ है और वायु सेना के हर पहलू को यहाँ देख और समझ सकते हैं। यकीन मानिए इसे देख कर आपका सीना तन जाएगा और सर गर्व से उठ जाएगा।
इस संग्रहालय में दूसरे विश्व युद्ध में भाग लेने वाले भारतीय वायुसेना के दस स्क्वाड्रन विमानों से लेकर करगिल युद्ध में हवाई मोर्चे को मजबूती देने जैसी यादगार घटनाओं से जुड़ी चीजों को सहेजकर रखा गया है । इसे देख कर आप देश प्रेम से सराबोर हो उठेंगें।
बता दें कि भारतीय वायु सेना का गठन 1932 में ही हो चुका था और तब से ही आरएएफ वर्दी, बैज, पदक, स्मृति चिन्हों और आदेश पत्रों की शुरुआत भी हुई थी। समय समय पर इसमें बदलाव हुआ जिसकी झलक आप यहाँ देख सकते हैं । तब दिए जाने वाले पदक में ब्रिटेन का शाही मुकुट अंकित होता था। आजादी के बाद इसकी जगह अशोक चक्र ने ले ली। यहाँ प्रदर्शित पदक में अशोक चक्र के नीचे देवनागरी में भारतीय वायु सेना तथा इसका सूत्र वाक्य नभ स्पर्शम दीप्तम लिखा हुआ है। ब्रिटिश शाही मुकुट के चिन्ह वाला पदक भी यहां रखा हुआ है।
भारतीय वायु सेना में पहली वर्दी खाकी थी, लेकिन 1990 से आसमानी कमीज और नेवी ब्लू पैंट ने वर्दी की जगह ले ली। जनरल रैंक के अधिकारियों की वर्दी में सितारों वाले कॉलर टैब होते हैं। दोनों तरह की वर्दियां तथा पायलटों की समय-समय पर बदलती वर्दियां यहां मौजूद हैं। यह आप मेरे द्वारा लिए गए तस्वीरों में क्रमवार देख सकते हैं। प्रदर्शन गैलरी में भारतीय वायुसेना के व्यक्तिगत हथियार, यूनीफॉर्म (गणवेश), फोटोग्राफ्स और अन्य वस्तुएँ जिन्हें वर्ष 1932 में भारतीय वायुसेना की स्थापना के समय से एकत्र किया गया है, प्रदर्शित किये गए हैं। यहाँ प्रदर्शित किये गए कुछ चित्रों में पकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने 1971 के भारत पाक युद्ध के आत्मसमर्पण दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर का चित्र और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करते हुए विमानों की तस्वीरें देख सकते हैं। इस मार्टयर्स फोटो गैलरी में 1948, 1962 तथा 1965 के अभियानों, 1971 की लड़ाई और कारगिल युद्ध सहित विभिन्न अभियानों के दौरान शहीद हुए वायुसेना अधिकारियों की तस्वीरें और उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देख सकते हैं ।
एक बड़ा सा हैंगर है जहाँ वायु सेना के लगभग 15 प्रकार के विमान और वायुसेना का कुछ सामान जैसे गाडियाँ और आयुध और विमान बंदूकें प्रदर्शन के लिए रखी गई हैं।
हैंगर के बाहर बड़े विमान भी प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। यहाँ आप राडार उपकरण, हथियाए गए वाहन युद्ध में जीती गई ट्रॉफियां देख सकते हैं ।
निर्मलजीत सिंह सेखों – एक उड़ान अधिकारी की आदमकद मूर्ति भी देख सकते हैं और जिन्हें अपने असाधारण उड़ान कौशल के कारण और दो दुश्मनों को वीरतापूर्वक मार गिराने के कारण परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। सम्भवतया ये चक्र पाने वाले ये वायु सेना एक एकलौते अधिकारी थे।
इसके साथ ही इस संग्रहालय में तलवारें और वायु सेना अधिकारियों के हथियार, विभिन्न प्रारूपों के टैंक, राइफल, पिस्टल, गन और रिवॉल्वर भी आप देख पाएंगे ।
1971 के युद्ध में क्षतिग्रस्त हुआ सुखोई 7 विमान का पिछला हिस्सा भी यहाँ प्रदर्शित है। वर्ष 1971 की लड़ाई के दौरान ही भारतीय वायु सेना ने लोंगेवाला में दुश्मन के कुल 23 टी 59 टैंक नष्ट किए थे। इनमें से दो टैंकों का मलबा और पूर्वी पाकिस्तानी सेना से बरामद एक ट्रक तथा एक टोयोटा जीप भी यहीं रखी है।
इसके समीप एसए 2 एसएएम मिसाइल तथा दिविना रडार यूनिट भी नजर आती हैं।
मिसाईलों के बीच खुद को पाकर शरीर एक अजीब तरह की उत्तेजना और रोमांच से भर जाता है ।
दूसरे विश्व युद्ध में भारतीय वायुसेना के दस स्क्वाड्रन विमान भेजे गए थे जो यहां रखे हैं। भारतीय वायुसेना के पहले आधिकारिक सुपरसोनिक विमान एवियन्स मार्सेल डसाल्ट एमडी 452 मिस्टेरे को भी यहाँ देखा जा सकता है। 1971 के युद्ध के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगातार सेवाएं देने वाला हेलीकॉप्टर एमआई 4, बीजेड 900 भी यहां मौजूद है।
संग्रहालय में युद्धक विमान
हंटर बीए 263
एचएएल अजीत ई 2015
सुखोई 7 बी 888
मिग 21 एफएलसी 499
एचएफ, 24 मारूत डी 1025
मिग 23 एमएफ एसके 434
मिग 25
आरकेपी 355 भी यहाँ पर मिलेंगें ।
ये वह विमान हैं जिन्हें चरणबद्ध तरीके से वायुसेना से हटाया जा चुका है। वर्ष 1957 से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया इंगलिश इलेक्ट्रिक कैनबरा भी यहां मौजूद है और कुछ यूनिटों में अब तक काम कर रहा है।
सबसे मजेदार है 1971 के लड़ाई में पाक का क्षतिग्रस्त विमानों और टैंक तथा अन्य वाहनों को उस पर विजय की याद दिलाते हुए देखना और अपने भारतीय वायु सेना पर गर्व से भर जाना ।
किस दिन जाएँ
यह बुधवार से रविवार सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। यह सोमवार, मंगलवार और अन्य सरकारी छुट्टियों के दिन बंद रहता है।
कैसे पहुंचे
यहाँ पहुँचना बहुत आसान है। यह घरेलू विमान स्थल के समीप है । एयरपोर्ट से द्वारका की तरफ जाने पर यह रास्ते में पड़ता है। नजदीकी मेट्रो स्टेशन सदर बाजार और बस स्टैंड इंडियन ऑयल कारपोरेशन है । बस संख्या 727 , 764 , 715 , 770 , 781 यहाँ से गुजरती है । स्टैंड पर या मेट्रो से उतर कर आप पैदल ही यहाँ पहुँच सकते हैं। टर्मिनल 2 से छोटी निजी बस पालम मंगलापुरी तक जाती है जो इस संग्रहालय के मुख्य द्वार के पास से होकर गुजरती है। निजी वाहन से आनेवालों के लिए मुख्य द्वार के सामने निःशुल्क पार्किंग की व्यवस्था है।
सबसे जरुरी
हाँ , याद रखें आपका एक सरकारी परिचय पत्र (आधार , पैन कार्ड , वोटर आई डी , ड्राइविंग लाईसेंस , वगैरह) आपके पास जरूर मौजूद हो ।
जय जय भारतीय वायु सेना !