
ऑल इण्डिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेषन जिसकी सदस्यता 2,80,000 है और यह बैंक अधिकारियों की सबसे बड़ी संगठन है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अपने सभी बैंको को जो सरकारी कारोबार में लिप्त है उन्हे वर्तमान वित्तीय वर्ष की समापित पर शनिवार, रविवार एंव 1 अप्रिल को खुले रखने का आदेष की भर्त्सना करती है। यह सूचना 24 मार्च, 2017 को सायंकाल निर्गत की गई जिसने सबों को हतप्रभ कर दिया। सबसे दुखद स्थिति यह रही कि रिजर्व बैंक ने अपने सदस्य बैंको को भी विष्वास में नही लिया और यह निर्देष जारी कर दिया। बहुतेरे बैंककर्मियों को इस बात की सूचना ग्राहको से प्राप्त हुई। जबकि वो बहुत देर तक अपनी शाखाओं में काम कर रहे थे।
उक्त बातें ऑल इण्डिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेषन के वरीय उपाध्यक्ष श्री सुनील कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि इतिहास साक्षी है कि भारत सरकार द्वारा दिये गये किसी भी आह्वान में हम पीछे नही रहे तथा सरकारी योजनाओं को लागू करने में हमने अग्रणी भूमिका निभाई, चाहे वो जन-धन योजना हो या विमुद्रीकरण की योजना हो। लेकिन इस समय यह निर्देष इतने कम समय में दिया गया है कि यह हम सबों के लिए परेषानी का सबब बनेगा। इतनी कम अवधि एंव तालीबानी निर्देष के कारण हमारी सारी व्यक्तिगत जीवन तथा व्यक्गित योजनायें अधर में पड़ जायेगी क्योंकि यह ध्यान देने योग्य बात है कि चैत्र नवरात्रा, उगदी, गुरूपर्वा, जैसे पर्व त्योहार 25 मार्च से 1 अप्रिल के बीच में हीं पड़ते हैं। इस सूचना के बाद हम इन सब पर्वों को नही मना सकेगें जिससे हमारे धार्मिक भावनाओं को आघात पहुॅचेगा।
श्री कुमार ने कहा कि पूर्व में हमने सरकार के हरेक योजनाओं को कठिन-से-कठिन समय में कार्यान्वित किया। विमुद्रीकरण का कार्य हमने जिस कठिन परिस्थिति में किया वह सर्वविदित है। मगर इस वर्तमान निर्देष को स्वीकार करना हमारे लिए बहुत हीं मुष्किल है। क्योंकि यह दुखद है कि राष्ट्र्ीयकृत बैंकों के कर्मचारीगणों के साथ इस तरह का व्यवहार दुराग्रहपूर्ण हो रहा है और हमें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
हमने रिजर्व बैंक तथा भारत सरकार को इसकी सूचना दे दी है कि इसका शीघ्रता से हल निकालें अन्यथा हमें संगठनात्मक कारवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
