लोक आस्था के महापर्व छठ के पावन अवसर पर आज सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पावन छठ संपन्न हो गया। आज तड़के सुबह देश के विभिन्न घाटों, तालाबों और अपने घरों की छतों पर भी व्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की।
सोमवार को तड़के सुबह विभिन्न नदियों और तालाबों में अर्घ्य देेने के लिए लोग घरों से निकले, पूरा वातावरण छठमय हो गया था। सभी घाटों की विशेष साज-सज्जा की गई थी। छठ के गीतों से घाट गूंजायमान थे। गंगा किनारे दीघा घाट, कुर्जी घाट, राजापुर घाट, पहलवानघाट, बांसघाट, अदालत घाट एवं काली घाट पर बड़ी संख्या में छठव्रतियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। छठव्रतियों के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी काफी संख्या में नदी किनारे पहुंचे थे। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर के छतों और स्थानीय तालाबों में भी अर्ध्य दिया | रातभर छठ घाटों पर बिल्कुल उत्सव सा नजारा दिखा। लोग बेसब्री से सूरज देवता के उगने का इंतजार कर रहे थे। दौरों में फलों और पकवानों से भरे सूप और उनपर जलते दीए रातभर जगमग-जगमग करते रहे। जैसे ही सूर्य की लालिमा नजर आई व्रती नदी के पवित्र जल में अर्घ्य देने के लिए उतरीं। सूरज के उदीयमान होते ही अर्घ्य देने का सिलसिला शुरू हुआ। अर्घ्य देने के बाद लोगों ने पूजा अर्चना की और अपने घरों की ओर लौट गए। घर पहुंचकर व्रतियों ने पारण किया।
रविवार को दिया गया था पहला अर्घ्य
नहाय-खाय से शुरू होकर खरना और कल शाम पहला अर्घ्य अर्पित किया गया। कल शाम भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए दोपहर बाद से ही गंगा के विभिन्न घाटों पर व्रतियों की भीड़ जमा होने लगी थी। जैसे-जैसे शाम ढलती गई नदी किनारे व्रतियों के आने का सिलसिला बढ़ता गया। सूर्यास्त के समय तो गंगातट व्रतियों एवं उनके परिजनों से भर गया।
छठी माई के गीतों से गूंजा गंगातट
गंगा किनारे अघ्र्य देने के लिए आने वाली महिलाएं छठी माई के गीत गा रही थीं। अधिकांश महिला व्रती छठी माई के गीत गा रही थीं। राजधानी के कई मंदिरों में भी चैती छठ का अघ्र्य देने की व्यवस्था की गई थी। स्थानीय मुहल्लों और विभिन्न मंदिर में भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए कृत्रिम तालाब का निर्माण किया गया। तालाब की साफ-सफाई कर आज उसमें पानी भरा गया।