पटना, 31 मई । बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि बिहार इंटरमीडिएट के परीक्षा फल ने सूबे की षिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है । जिस बिहार की मेघा की पूरी दुनिया में लोहा माना जाता था , इंटर के रिजल्ट ने उसे धूलधूसरीत कर दिया । गत वर्ष घपला-घोटाले के बदनुमा दाग से षिक्षा व्यवस्था कलंकित हुई तो इस बार चौपट षिक्षा व्यवस्था से।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि इंटर के साइंस, आर्ट्स और वाणिज्य संकाय की परीक्षा में शामिल साढ़े बारह लाख छात्रों में से आठ लाख परीक्षार्थियों का फेल हो जाना यह बताने के लिये पर्याप्त है कि बिहार में षिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है। साइंस में इंटर की परीक्षा पास करने के बाद भी उच्च तकनीकी षिक्षा यथा-मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेष का द्वार खुलता है लेकिन 6.46 लाख परीक्षार्थियों में से साढ़े चार लाख छात्र फेल कर गये। जो छात्र पास हुए हैं उनके मार्क्स इतने कम है कि शायद ही किसी तकनीकी संस्थान में उनका नामांकन हो सके। यही हाल कला संकाय के 5.34 लाख छात्रों में से 3.30 लाख छात्र परीक्षा पास करने में विफल रहे। जहां तक कामर्स की उपलब्धियों की बात है तो परीक्षार्थी ही मात्र 44 हजार थे जिसमें 15 हजार फेल हुए।
श्री यादव ने कहा कि पूरे देष में बिहार का रिजल्ट सबसे खराब रहा। इसके बावजूद षिक्षा मंत्री का खुषी जाहिर करना बेहद शर्मनाक है। इंटर की परीक्षा में दो तिहाई छात्रों का असफल होना सूबे की षिक्षा पद्यति की असलियत तो उजागर करता है बिहार के बच्चों में मेधा की कमी नहीं है लेकिन सही मार्गदर्षन नहीं मिला। मिले भी कैसे जब राज्य में पूरी षिक्षा व्यवस्था ही चौपट हो। स्कूलों में षिक्षकों की घोर कमी है, प्रयोगषाला नाम की कोई चीज नहीं , पर आधारभूत संरचना का घोर अभाव तो है ही बिहार बोर्ड से इंटर की परीक्षा पास किसी भी छात्र का नामांकन अब दिल्ली के किसी नामी-गिरामी षिक्षण संस्थान में तो असंभव है ही पटना विष्वविद्यालय के किसी कॉलेज में भी नहीं हो सकता है। सूबे के मुखिया नीतीष कुमार जी क्या कहते हैं इस पर?