संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने में सिर्फ दो दिन बचे हैं लेकिन कई महत्वपूर्ण विधयक अधर में लटके हुए हैं। सूचीबद्ध विधेयको में आर्थिक सुधारों का एजेंडा,बीमा विधेयक एवं कोयला प्रमुख्य हैं। पिछले हफ्ते विपक्ष ने धर्मांतरण के मुद्दे पर बहस को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जवाब की मांग लेकर राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित की। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के प्रावधान वाले बीमा विधेयक को राज्यसभा में पिछले हफ्ते चार बार सूचीबद्ध किया गया था लेकिन सदन के बाधित रहने के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी।वही कोयला विधेयक के जरिये खानों की नीलामी का मार्ग खुलता। यह विधेयक भी राज्यसभा में लंबित है जिसे लोकसभा ने पारित कर दिया है। बताते चले भारी विवाद के चलते उच्चतम न्यायालय ने कई कोयला खदानों के आवंटन को रद्द कर दिया था।उच्च सदन में लंबित एक अन्य महत्वपूर्ण विधेयक दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों को गिराये जाने से बचाने की समय सीमा को इस साल 31 दिसंबर से आगे बढ़ाने के प्रावधान वाला विधेयक शामिल है।अब देखना है की ये लंबित विधयक पर बहस हो रही है नहीं।
आर्थिक सुधारों का एजेंडा,कोयला एवं बीमा विधेयक पर सासंद गतिरोध की काली छाया।
