आधार’ का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इससे सब्सिडी, सेवाओं और लाभ के लिए वास्तविक लोगों की पहचान में मदद मिलेगी और फर्जी पैनकार्ड जैसी समस्याएं खत्म होंगी। इसके साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियां भी इससे दूर होंगी।केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों वाली संवैधानिक पीठ को बताया कि ‘आधार’ से न सिर्फ विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान में मदद मिलेगी, बल्कि इससे भ्रष्टाचार खत्म करने में मदद और पारदर्शिता भी आएगी। पीठ के समक्ष दिए गए नोट में सरकार ने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से जरूरतमंदों तक सरकारी लाभ पहुंचने में देरी होती है और इसकी गति धीमी हो जाती है।वेणुगोपाल ने कहा, ‘मेरे मुताबिक, सभी स्तर पर अगर लोगों की सोच नहीं बदलेगी तो कुछ भी सफल नहीं होगा। कई देश जिन्हें भारत के बाद स्वतंत्रता हासिल हुई वे भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत से बेहतर स्थिति में हैं। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि भ्रष्टाचार के जरिए लाभ पाने वाले परिवारों द्वारा इसे दाग के तौर पर नहीं देखा जाता है।नोट में कहा गया, ‘इसलिए, योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को लक्षित करने की प्रक्रिया सुधारने और आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इसकी जरूरत महसूस की गई। आधार की परिकल्पना मूलत: उपरोक्त दोनों समस्याओं के जवाब और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को सफल रूप से लागू करने के लिए की गई थी।’
केंद्र ने राजीव गांधी को उद्धृत किया
केंद्र की एनडीए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ‘आधार’ योजना का बचाव करते हुए अपनी दलीलों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस कथन को उद्धृत करते हुए कहा कि यह जनता के धन का लीकेज रोकेगी।अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने संविधान पीठ के समक्ष बहस शुरू करते हुए कहा, ‘इस देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री (स्व. राजीव गांधी) ने तो रिकॉर्ड पर यह कहा था कि समाज के निचले तबके के कल्याण के लिए सरकार द्वारा खर्च किए जाने वाले एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही वास्तव में उन लोगों तक पहुंचते हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि इस बात पर संदेह नहीं किया जा सकता कि ‘आधार’ होने पर इस क्षेत्र की अनेक गड़बड़ियों पर काबू पाया जा सकता है।
पेंशन के लिए ‘आधार’ पर कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों द्वारा पेंशन निकालने के लिए ‘आधार’ के अनिवार्य प्रयोग पर सवाल उठाए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वे पूर्व सरकारी कर्मचारी हैं और उनकी पहचान पर कोई संदेह नहीं है। संविधान पीठ ने जोर दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपने हक से वंचित नहीं हो। पीठ ने कहा कि पेंशन खाते सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा ही संचालित होते हैं और इसलिए इसमें किसी गलत पहचान का सवाल नहीं उठता।