-31 जनवरी 2018 के बाद इस साल दूसरी बार पूर्ण चंद्रग्रहण की स्थिति बनेगी
– 27 जुलाई को चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर होगा
– भारत में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 31 दिसंबर 2028 को दिखाई देगा
– साल 2000 में चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन ही पड़ा था
नई दिल्ली. इस सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण शुक्रवार रात (गुरु पूर्णिमा) को होगा। ग्रहण का स्पर्श रात 11.54 बजे होगा। एक बजे चांद पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढंक जाएगा। यह स्थिति 1 घंटा 43 मिनट यानी रात 2:43 तक बनी रहेगी। इसके बाद चांद धरती की छाया से बाहर आना शुरू होगा और तड़के 3.49 बजे पूरी तरह इससे मुक्त हो जाएगा। ग्रहण के स्पर्श से लेकर आखिरी तक चांद तांबे के रंग जैसा नजर आएगा। इसे ‘ब्लड मून’ भी कहा जाता है। इस खगोलीय घटना को भारत समेत कई देशों में देखा जा सकेगा।
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, 27 जुलाई को चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर होगा, इस स्थिति को लूनर एपोजी कहा जाता है। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच ज्यादा दूरी की वजह से ग्रहण का वक्त 1914 के बाद सबसे ज्यादा 3 घंटा 55 मिनट होगा। इस साल 31 जनवरी को भी पूर्ण चंद्रग्रहण था। तब इसकी अवधि 1 घंटा 40 मिनट थी। 4 अप्रैल 2015 को सदी का सबसे छोटा चंद्रग्रहण हुआ था। इसका ग्रहण काल सिर्फ 4 मिनट 48 सेकंड था। अब 31 दिसंबर 2028 को अगला पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। 2019 में दो सूर्य और एक चंद्रग्रहण होगा।
क्यों होता है चंद्रग्रहण : जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार से आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक तौर पर ढंक जाता है। ऐसी स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों को चंद्रमा तक नहीं पहुंचने देती है, जिसके कारण पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्रग्रहण नजर आता है।
दुनिया के इन इलाकों में दिखेगा : पूर्ण चंद्रग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर देशों, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और आसपास के देशों, उत्तरी अमेरिका, प्रशांत क्षेत्र, अटलांटिक, भारतीय महासागर और अंटार्कटिका में दिखाई देगा।
चार दिन बाद एक और खगोलीय घटना : 31 जुलाई को मंगल ग्रह पृथ्वी के करीब आएगा। तब दोनों ग्रहों के बीच दूरी 5.76 करोड़ किलोमीटर होगी। इस दौरान लाल ग्रह दोगुना बड़ा दिखाई देगा। दोनों ग्रह 15 साल पहले 2003 इतने करीब आए थे। तब इनके बीच की दूरी 5.57 करोड़ किलोमीटर थी। इसके बाद यह नजारा 6 अक्टूबर 2020 को दिखाई देगा। तब इन ग्रहों के बीच की दूरी 6.176 करोड़ किलोमीटर होगी।