97 वर्षीय द्वारिका सुंदरानी जी के साथ कुछ पल बोधगया में बिताया। वर्तमान समय में भी सामाजिक सारोकार से जुड़े ऐसे लोग मिल ही जाते हैं जिन्हें देख कर ये अहसास होता है कि मानवता आज भी जिन्दा है।
ज्ञातव्य हो कि बोधगया में प्रत्येक वर्ष हजारों व्यक्तियों के आंखों का आपरेशन इनकी संस्था “समन्वय आश्रम” के द्वारा की जाती है।
इस संस्था की स्थापना विनोबा भावे के सौजन्य से हुआ था। समन्वय आश्रम, बोधगया में राजेन्द प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, विनोबा भावे जैसे लोग भी आ चुके हैं। द्वारिका सुंदरानी जी को जमनालाल बजाज राष्ट्रीय पुरस्कार 1996 में मिल चुका है।
सामाजिक सेवा के तहत एक आवासीय विद्यालय भी चलती है। खास बात है कि इस विद्यालय में अति निर्धन या अनाथ बच्चे हैं।
अभी कुल 80 बच्चे हैं। उनके साथ भी कुछ समय व्यतित किये।
वैसे, सरकार को भी इसके ऊपर ध्यान देने की जरूरत है।
सुन्दरानी जी के वयोवृद्ध होने और अस्वस्थ रहने से संचालन में कुछ कमी आयी है।
द्वारिका सुन्दरानी जी के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।
पुरेन्द्र सवारियां -गया (बिहार)