पटना। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आज अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा प्रदेश कार्यालय में महासभा के प्रदेश पदाधिकारियों और सभी विंग के जिलाध्यक्षों की बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें सर्वसम्मित से इस बार लोकसभा चुनाव में राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा के उम्मीदवारों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया।
लोजपा छोड़ एनडीए के सभी दलों को मिलेगा क्षत्रिय महासभा का समर्थन : ई. रविंद्र कुमार सिंह
हालांकि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा लोजपा छोड़ एनडीए के सभी दलों के उम्मीदवार को पूर्ण समर्थन देने का फैसला किया। उक्त जानकारी अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष सह राष्ट्रीय समान अधिकार संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह ने दी।
बैठक के बाद उन्होंने कहा कि राम विलास पासवान और उनकी पार्टी ने संविधान का सिर्फ इस्तेमाल किया है। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी जी वंशवाद को खत्म करने की बात कर रहे हैं, वहीं गठबंधन में रहकर भी राम विलास पासवान इससे बाज नहीं आ रहे हैं। यही वजह है कि एक बार फिर से बिहार में आरक्षित 6 सीटों में से 50 प्रतिशत सीटों पर उन्होंने अपने परिवार से उम्मीदवार खड़े किये। इससे उनके ही समाज के जरूरतमंद लोगों की हकमारी हो रही है, जिससे उनके समाज के लोग आज भी हाशिये पर हैं।
ई. रविंद्र कुमार ने कहा कि राम विलास पासवान को न्यायालय और संविधान में एकदम भरोसा नहीं है, यही वजह है कि एससी एसटी के काले कानून और 13 प्वाइंट रोस्टर पर नरेंद्र मोदी सरकार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को बदलने के लिए दवाब बनाया और सदन में कानून बनाकर कोर्ट के फैसले को पलटा गया। राम विलास पासवान और उनकी पार्टी के लोगों बाबा साहब का नाम लेकर राजनीति करते हैं,लेकिन यही लोग उनके द्वारा बनाने कानून के साथ खिलवाड़ करते हैं और बदनाम क्षत्रिय समाज को करते हैं। ये अब नहीं चलेगा। एससी एसटी के काले कानून के प्रति खुद सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था।
उन्होंने कहा कि देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को आरक्षण देने के लिए नए नियम 13 प्वाइंट रोस्टर लागू करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था, जो बिलकुल सही था। क्योंकि विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। राम विलास पासवान जैसे लोग पहले आरक्षण की राजनीति कर आरक्षित जातियों को आगे बढ़ने नहीं देते। ऐसे में आरक्षित जातियों में शिक्षा का आभाव है,फिर भी अगर कम शिक्षा वाले लोग विवि में आयेंगे तो देश की शिक्षा व्यवस्था का तो बेड़ा गर्क होना तय है। ऐसे में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जब इस फैसले को सही ठहराया,तब राम विलास पासवान जैसे लोगों ने इसका विरोध किया। जबकि 13 प्वाइंट विभागवार रोस्टर में मामला आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के बीच का नहीं है। उचित प्रतिनिधित्व ना मिलने में कार्यपालिका का दोष है।
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा लोजपा के घोषणा पत्र का विरोध करती है, क्योंकि वह कमजोर वर्ग को लुभाने के लिए ख्याली पुलाव है। इसके आड़ में वे अपने परिवार के लोगों को सेट कर राजनीतिक मलाई खाने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर आज अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने राम विलास पासवान और उनकी पार्टी लोजपा के विरोध का फैसला लिया है। महासभा उन्हें सबक सिखाकर ही रहेगी।