आंखिर जिद्दी कन्हैया ने मनवाली अपनी बात, RJD में राजेंद्र पासवान बने प्रदेश महासचिव

पटना तेजप्रताप यादव की नाराजगी का असर दिखने लगा है. राजद ने राजेंद्र पासवान को प्रदेश महासचिव पद पर नियुक्त किया है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि पार्टी में अहम योगदान को देखते हुए राजेंद्र पासवान को प्रदेश महासचिव पद पर नियुक्त किया जा रहा है. इसके बाद तेजप्रताप यादव और राजेंद्र पासवान मंदिर में एक साथ दिखे. उधर, प्रदेश महासचिव बनाये जाने पर राजेंद्र पासवान ने कहा कि तेजप्रताप यादव चाहते थे कि मैं महासचिव बनूं उन्होंने मुझे बनवाया और इसमें कोई विवाद नहीं है. मेरे कारण दोनों भाइयों में कोई विवाद नहीं है. उन्होंने कहा कि तेजप्रताप यादव की बात पार्टी में सुनी जानी चाहिए. तेजप्रताप यादव ही बल्कि उनका पूरा परिवार मुझे महासचिव बनाना चाहता था. राजेंद्र पासवान ने कहा कि मैं तेजप्रताप यादव का भक्त हूं. तेजप्रताप ने आरोप लगाया था कि पार्टी में आम कार्यकर्ताओं को तव्वजो नहीं दिया जाता है. उन्होंने राजेंद्र पासवान का बकायदा नाम भी लिया था. मालूम हो कि शनिवार के बाद तेजप्रताप ने रविवार को दूसरे दिन भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी के कुछ बड़े लोग हैं जो भाई-भाई को आपस में लड़ाना चाहते हैं लेकिन ऐसे लोगों का मंसूबा काम नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी में छात्र राजद के कार्यकर्ताओं की बातें नहीं सुनी जाती है जबकि पार्टी में वही छात्र बूथ पर खड़ा होकर काम करते हैं. तेजप्रताप ने कहा कि पार्टी के नेता धूप में नही जाते हैं लेकिन कार्यकर्ता पूरी मेहनत के साथ काम करते है. लालू के बड़े बेटे ने कहा कि कौन लोग साजिश कर रहे हैं उनका नाम भी सामने आने लगा तो ऐसे सभी लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाएंगे. इससे पहले शनिवार को छोटे भाई से मनमुटाव के सवाल पर तेजप्रताप ने कहा था कि तेजस्वी मेरा कलेजा का टुकड़ा है. आरजेडी नेता ने कहा कि तेजस्वी, मीसा और राबड़ी देवी और मेरा नाम लेकर पार्टी के लोग गलत काम करते हैं. उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का सम्मान करता हूं. तेजस्वी को गद्दी दे कर मैं द्वारका चला जाउंगा लेकिन मैं कही भी जाउंगा राजनीति करूंगा. गौरतलब है कि शनिवार को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने राजनीति से मोह भंग होने के संकेत दिए हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मेरा सोचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊं. अब कुछेक “चुग्लों” को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं.

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