नई दिल्ली | केंद्र सरकार एक फरवरी को देश का आम बजट पेश करने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी तो इस बात पर भी सहमति बनी कि आम बजट पेश होने की तिथि भी थोड़ा पीछे की जाए।कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार बजट पेश करने की तारीख और बजट सत्र को पहले करने के पक्ष में है, लेकिन अभी नई तिथि पर फैसला नहीं हुआ है।
वित्त मंत्री ने बताया कि रक्षा के लिए बजट का आकार रेलवे से ज्यादा होता है, लेकिन उसके लिए कोई अलग बजट पेश नहीं होता। उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने विवेक देबरॉय की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी जिसने कहा था कि रेल बजट का आकार आम बजट के मुकाबले बहुत छोटा है। साथ ही साल 1924 वाली परिस्थितियां भी नहीं है। इसलिए रेल बजट को खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा, ‘इसलिए कैबिनेट ने फैसला किया कि रेल बजट को आम बजट में मिला दिया जाए। यानी, अब सिर्फ एक बजट पेश होगा और वह है आम बजट। रेलवे की काम-काज की स्वायत्तता बरकरार रहेगी।’
हर साल अब एक ही बजट पेश होगा और वो भी 28 या 29 फरवरी के काफी पहले. सरकार ने रेल बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला किया है. साथ ही ये भी तय हुआ है कि बजट सत्र तय तारीख से पहले शुरु होगा.
मोदी सरकार ने बुधवार को 92 साल पुरानी परम्परा खत्म कर दी. अब ये तय हुआ है कि रेल बजट अलग से पेश नही होगा, बल्कि वो आम बजट का ही हिस्सा होगा. वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि 1924 में रेल बजट को अलग करने का फैसला विभिन्न जरुरतों के आधार पर हुआ था, लेकिन अब ऐसी जरुरतें नहीं रह गयी है. जेटली ने ये भी कहा कि आज के दिन में रक्षा और परिवहन जैसे कई क्षेत्रों का आकार रेलवे से कहीं बड़ा है, जबकि इनका बजट आम बजट में शामिल किया जाता है.