दिल्ली नगर निगम के लिए जारी बीजेपी का घोषणापत्र बस महज एक खानापूर्ति है और दिखावा है। यह घोषणापत्र अधूरे वादों , झूठ और ऐसे वादे जो कभी पूरे नहीं किए जा सकते और ऐसे भी जो एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, से भरा पड़ा है। भाजपा वही पार्टी है जिसने अपने कुशासन और भ्रष्टाचार से पिछले 10 सालो में दिल्ली नगर निगम की कमर तोड़ दी है | एमसीडी की दयनीय हालत की जिम्मेदार भाजपा के पास एमसीडी के चुनाव लड़ने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा वर्तमान पार्षदों को टिकट कटना खुद भाजपा के द्वारा अपने गलत कार्यों की स्वीकृति है | ऐसे में केवल वर्तमान पार्षदों को टिकट न देने से कुछ नहीं होने वाला है।
आज जब भाजपा ने एमसीडी चुनाव के लिए अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया है तो ऐसे में नवगठित पार्टी स्वराज इंडिया ने भाजपा के पिछले एमसीडी चुनाव 2012 के चुनावी घोषणापत्र के वादों के पुरे होने की वास्तविकता को जांचने की जिम्मेदारी उठाई|
– भाजपा ने 2012 के अपने मेनिफेस्टो में हर दरवाज़े के बाहर जाकर कूड़ा उठाने और घर से मिलने वाले घरेलू कूड़े का अलगाव कर शहर भर में कचरा प्रबंधन का वादा किया था, लेकिन यह योजना खराब कार्यान्वयन के कारण बुरी तरह विफल रही। दिलचस्प बात यह है की भाजपा फिर से यही वादा कर रही है।
– 2012 में बीजेपी ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों जैसे ऑटो चालकों और घरेलू सहायता कर्मियों के लिए “सामाजिक सुरक्षा कार्ड” का वादा किया था लेकिन बजट प्रस्तुतियों में वादा दोहराते हुए भी इस संबंध में अभी तक कोई प्रगति नहीं की है ।
– 2012 में बीजेपी ने प्रत्येक वार्ड में एक मेडिकल क्लीनिक स्थापित करने का वादा किया था। मेडिकल क्लीनिक स्थापित करना तो दूर, भाजपा ने अभी तक इस संबंध में जरूरी प्रक्रियाओं की शुरुआत भी नहीं की है। क्या हर साल दिल्ली में हमला करने वाली महामारी डेंगू-चिकनगुनिया के लिए भाजपा ही जिम्मेदार नहीं है?
– 2012 में बीजेपी ने पार्किंग और अतिक्रमण को काम करने के लिए 100 मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का वादा किया था। लेकिन आज तक 2012 की पार्किंग परियोजनाएं शुरू नहीं हो पायीं और 2010 के पहले की परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
-बीजेपी ने 2012 के मेनिफेस्टो में, एमसीडी स्कूलों में सभी के लिए समान शिक्षा प्रदान करने का वादा किया था, लेकिन सच्चाई यह है कि एमसीडी स्कूलों की संख्या 1785 (दिसंबर, 2011) से 1720 (दिसंबर 2016) तक गिर गई है। सोचनीय स्थिति तो यह है कि न केवल स्कूलों की संख्या में गिरावट आई है बल्कि स्कूलों में बच्चों के नामांकन की संख्या में 9,86,962 से 8,40,788 तक की गिरावट आयी है।
– एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 40% बच्चों को मिड-डे मील स्कीम की योजना के तहत शामिल नहीं किया गया है। भोजन की गुणवत्ता का स्तर निर्धारित स्तर से एक तिहाई से भी कम है। एक और आश्चर्य की बात यह है की मिड डे मील का लाभ उठाने वाले बच्चों की संख्या 659701 से घटकर 504723 हो गई है।
-बीजेपी ने 2012 में ड्रेनेज सिस्टम के लिए एक मास्टर प्लान विकसित करने का वादा किया था, लेकिन पार्टी सत्ता में आने के बाद ही इसके बारे में भूल गई। वास्तव में एक मास्टर प्लान की कमी के कारण जल निकासी की समस्या ने आज के दिन में दिल्ली में एक विकट समस्या का रूप ले लिया है और पुरानी व्यवस्था पर इसका भार बढ़ता ही जा रहा है । बीजेपी ने अपने नए घोषणा पत्र में फिर से वही पुराने अधूरे वादे किये है| .
-आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि एमसीडी ने एमसीडी वेब पोर्टल (mcd.gov.in) के रखरखाव पर प्रति माह 1 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इतना अधिक पैसा खर्च करने के बावजूद, एमसीडी वेबसाइट अभी भी ठीक से काम नहीं करती है।
– प्रधानमंत्री मोदी की बहुप्रचारित, “स्वच्छ भारत मिशन” योजना, कार्यावन्यन में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पूरी तरह से फेल हुई। स्वराज इंडिया ने पहले ही खुलासा किया था कि दिल्ली नगर निगम को आबंटित कुल 336 करोड़ रूपये में से केवल 2.2 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। इसके अलावा, दिसम्बर 2016 में “एक्शन ऐड भारत” के एक सर्वेक्षण ने बताया की तीनो नगर निगमो के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत 229 शौचालयों में से 50% शौचालयों में पानी की आपूर्ति भी नहीं है और ना ही अंदर से शौचालयों को लॉक करने की व्यवस्था है। लगभग आधे से अधिक शौचालयों में सुरक्षा की व्यवस्था भी नहीं है। अपराध रिकॉर्डों में सबसे ऊपर दिल्ली जैसे शहर के लिए एक बड़ी सुरक्षा चिंता का विषय है।
– अपने 2012 के घोषणापत्र में भाजपा ने 100 मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का वादा किया था, जबकि अब तक केवल तीन ही बने हैं ।
– बीजेपी ने 2012 में, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन देने का वादा किया था। यह अभी तक दूर की कौड़ी है | वर्तमान कार्यरत कर्मचारियों के वेतन अदायगी में दो वर्ष से अधिक समय की देरी हो रही है । वास्तविकता यह है कि भाजपा ने 50 लाख रुपये प्रति दिन उन कर्मचारियों के पेंशन पर खर्च किये जिनका कोई अस्तित्व (घोष्ट इम्पलोई) ही नहीं था।
– 2012 में भाजपा ने 5 वीं कक्षा की छात्राओं को रूपये 5000 छात्रवृति देने का वाद किया था, कहा गया था कि यह वादा साक्षरता दरों को बढ़ाने के लिए है। लेकिन वर्तमान में केवल दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ही मात्र 500 रूपये प्रति छात्रा देती है ,बाकी पूर्वी और उत्तरी दिल्ली की नगरपालिका कुछ भी छात्रवृति
नहीं देती है।
इस तरह के उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि एमसीडी की दुर्दशा के लिए बीजेपी सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इसलिए एमसीडी चुनावों में भाजपा को चुनाव लड़ने का नैतिक अधिकार नहीं है। विडंबना यह है कि भाजपा ने अपने पिछले विफलता का बिना कोई कारण बताये हुए पिछला चुनावी घोषणा पत्र ही पुनः जारी कर दिया है।
पहली बार चुनाव लड़ रही नवगठित पार्टी स्वराज इंडिया, ने शुक्रवार को ही अपना घोषणा पत्र जारी किया है। जिसके अनुसार स्वराज इंडिया ने “साफ़ दिल- साफ दिल्ली” के नारे के साथ दिल्ली को कचरा, महामारी और प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए अपनी पूरी योजना को जारी किया है । पार्टी ने साफ और प्रदूषण मुक्त दिल्ली बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की | गौरतलब है कि स्वराज इंडिया देश में “पर्यावरण” को मुख्य राजनीतिक मुद्दा बनाने वाली पहली पार्टी है। पार्टी ने निगम चुनाव में अपना पूरा फ़ोकस “पर्यावरण और स्वच्छता” पर ही रखा है।