(अनुभव की बात, अनुभव के साथ)
बालिका आश्रय गृह कांड में मानवता को शर्मसार करने वाले घृणित कार्य के बाद भी राज्य सरकार ने ज्यादातर मामलों को मामूली मारपीट का बना कर अदालत में पेश किया।इस प्रकार की अनदेखी से नाराज सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने आश्रय गृहों में बच्चों के साथ शारीरिक और यौन शोषण के आरोपों के बावजूद राज्य सरकार द्वारा उचित कार्रवाई नहीं होने देने के मन्शे को शर्मनाक और अमानवीय बताया।
टिस ने प्रदेश के 17 कल्याण गृहों की गतिविधियों के बारे में दिए रिपोर्ट में बताया कि बालिका गृह में यौन हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की घटना होती है।टिस ने अपनी रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर बालिका गृह पर सबसे अधिक गंभीर आरोप लगाए। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड में 40 बच्चियों से दुष्कर्म की बात सामने आने पर पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। बात करने पर बच्चियों ने बताया कि उनकी पिटाई की जाती थी,नशीली दवा दी जाती थी और उनके साथ दुष्कर्म किया जाता था।विरोध करने पर कई- कई दिनों तक उन्हें भूखा रखा जाता था।ऐसी भी जानकारी मिली कि कुछ बच्चियों को रात में बाहर ले जाया जाता था या फिर रात में कुछ बाहरी लोग आते थे।इस बालिका गृह में दरिंदगी की सारी सीमा पार कर दी गई थी।
इसी बीच पटना स्थित आसरा शेल्टर होम में दो महिलाओं की संदिग्ध स्थिति में मृत्यु हो गई।उन लाशों को गैर कानूनी तरीके से जबरन ठिकाने लगाने की कोशिश के बाद यह मामला चर्चा में आया।उस आसरा होम की जांच के बाद स्थित मोहल्ले के निवासियों ने बताया कि रात में भी लड़कियों के चीखने चिल्लाने की आवाज आती रहती थी।मामले की जाँच शुरू हुई और जांच में बृजेश ठाकुर और मनीषा दयाल का नाम सामने आया।दोनों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया गया।दोनों के राजनीतिक कनेक्शन चौंकाने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक लगभग सभी राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेता मनीषा दयाल के संपर्क में हैं। कई बड़े अधिकारियों से भी उसके गहरे ताल्लुकात हैं।मनीषा के असरा होम की भी जांच में कई अनियमितता पाई गई।जिसकी जांच अभी चल रही है।
निश्चित रूप से ये घटनाएं इंसांनियत को शर्मसार करती हैं। उम्मीद थी कि इन घटनाओं की जानकारी मिलने पर सुशासन बाबू द्रवित हुए होंगे और अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिले,इसके लिए सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश देंगे।परंतु ताज्जुब की अपराधियों को बचाने के लिए सरकार अपनी ओर से प्रयासरत है।अपराधियों या आरोपियों के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पूरे मामले में प्रदेश के पूर्व मंत्री कुमारी मंजू वर्मा के पति जेल की सलाखों के पीछे हैं। अपराधियों के पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमारी प्रदेश सरकार अपराधियों को बचाने के प्रयास में लगी है।यह बेहद शर्मनाक है कि हमारी प्रदेश सरकार ने 16 संरक्षण गृहों की जांच सीबीआई से कराए जाने का विरोध किया है। सीबीआई जांच का विरोध करके राज्य सरकार ने यह जता दिया है कि वह मामले की जांच में लीपापोती करना चाहती है। जैसी की संभावना है, यदि निष्पक्ष जांच हुई तो जांच की आंच सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगी। सुशासन बाबू की सरकार अब जांच में धांधली की लाख कोशिश कर ले,अपराधियों को बचाने का भरशक प्रयास कर ले,परंतु प्रदेश की जनता मूर्ख नहीं है।राजनैतिक और प्रशासनिक पहुंच वाले इन अपराधियों को सजा मिले ना मिले,परंतु प्रदेश की जनता सब समझ रही है कि इस बेहद शर्मनाक कांड में बड़े बड़े राजनीतिक और प्रशासनिक हस्ती शामिल है।