पटना : गाँधी मैदान हादसे की पहली गाज गिरी पटना के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मनु महाराज के ऊपर। सरकार ने अपने एक आदेश के तहत इनकों अपने पद से हटा दिया है। बहरहाल सरकार के इस कदम से उसके नियत पर प्रश्नचिह्न खडा हो गया है। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा पर उठने वाला कदम जहाँ स्वागत योग्य है। वही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मनु महाराज पर उठाया गया कदम पूरी तरह तुगलकी फरमान सा जान पडता है। घटना पर गौर करे तो पायेगे, जिस वक्त ये घटना घटी उस वक्त घटना से चंद कदम दूर पटना के सबसे महँगे होटल मौर्या में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के बेटे का जन्मदिन पर पार्टी चल रहा था। विश्वतसूञों के अनुसार जब भगदड मची तो पार्टी में खलल के डर से होटल का गेट फौरन बंद कर दिया गया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मनु महाराज के पिछले इतिहास पर नजर डाले तो कई मौको पर न्यायालय ने भी माना है कि प्रशासन में वो इकलौता शख्स है जो अपने काम और आम लोगों क प्रति इमानदार है। देर रात राजधानी के सडको पर फिल्मी अंदाज में घुमकर अपने महकमें में आये धब्बे को ढुढने और दूर करने में लगातार लगा रहा। बदमाश क्या पुलिस महकमें में भ्रष्ट लोगों के लिए दहशत का दूसरा नाम गिना जाता है।बहरहाल राजधानी में अपराध का ग्राफ गिराने वाला बर्षो बाद कोई ईमानदार अफसर मनु महाराज जैसा मिला था। कैश वैन लूट कांड,जहानाबाद संगीता सिंह का पीएमसीएच से फरारी कांड, फतुआ गंगा पासवान गिरफ्तारी,8 माह के ताहिरा का सकुशल बरामदगी,बालू माफियों के घर में घुस कर पकडना ऐसे न जाने कितने घटनाओं का पर्दाफाश करने वाले अफसर का बलि देना घातक कदम है।
पंकज श्रीवास्तव