मुजफ्फरपुर से अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट।
मुज़फ्फरपुर में बच्चों की मरने की संख्या 200 से भी अधिक है ये जो आंकड़े 85 या 90 का है वो सिर्फ सरकारी अस्पतालों में मौत का है, जो बच्चें गांव में या प्राइवेट अस्पतालों में दम तोड़ा है उसका कोई रिकॉर्ड नही है।
बिहार के जिला अस्पतालों का बुरा हाल है ना डॉक्टर ना बेड ना ICU में सही व्यवस्था अगर देखना है तो सूबे के बड़े अस्पताल SKMCH आ जाइये।
पिछले 12 घंटे में 12 से अधिक बच्चों की मौत अगर एक मुज़फ्फरपुर के SKMCH में हुई है तो वो प्राकृतिक आपदा नही है, अव्यवस्था संसाधन की कमी है, ICU में एक बेड पर 3-3 बच्चे है।
1 या 2 शिशु डॉक्टर है और 150 बच्चों को देख रहे है वो करे भी तो क्या वो खुद वेवस हैं।
अस्पताल का हाल ये है की लगता है नरक है इतनी भीषण गर्मी में जेनरल वार्ड में पंखा तक नही है लोग बेचैन है। जबसे मंत्री जी लोगों का आना शुरू हुआ तबसे थोड़ा साफ सफाई दिख रहा है।
मैं दो दिन से लगातार मुज़फ्फरपुर के अस्पतालों में कवरेज कर रहा हूं लगता है हम कितने गरीब और पिछड़े राज्य में रह रहे है जहाँ व्यक्ति को इलाज भी ठीक से नसीब नही है। बस नेताओं से लंबी लंबी गप्पे ले लीजिए।
खुद किसी भी नेता जी के घर चले जाइये 36-36 AC लगे हुए है और मर रहे मासूमों को AC तो छोड़िए बिस्तर भी ठीक से नसीब नही।
अस्पताल के डॉक्टर और अधीक्षक क्या करेंगे वो खुद इतने डरे और परेशान है की आप अंदाज़ा नही लगा सकते हर तरफ मीडिया वाले कैमरे लेकर खड़े है दो घंटे पर कोई कोई ना कोई नेता या अधिकारी पहुंच रहे है वो अपनी नौकरी बचाये या इलाज करे अस्पताल में भर्ती मरीज़ों को आखिर उनको भी घर चलाना है बच्चे उनके भी हैं।
पूरे देश मे भारत-पाकिस्तान मैच में जीत के लिए दुआवो का दौर जारी है, कही यज्ञ तो कही हवन हो रहा है। दो मिनट का टाइम निकाल के इन नन्हे फ़रिस्तो के लिए भी दुआ कीजिये क्यों की वो हमेशा के लिए सबको छोड़कर जा रहे है मैच का क्या है आज हार भी गए तो कल जीत जायंगे लेकिन ये नन्हे फरिस्ते चले गए तो कभी नही आएंगे ….