दहेज क्या है ये उस माँ-बाप से पुछिये जिसके कारण बेटी के साथ-साथ घर-जमीन भी चली जाती है। इसके बावजूद भी अब तक वे कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। कुछ इस तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के दहेज विरोधी मिशन को बल देने के लिए ऐसे संदेशों को लेकर अंग उत्थान आन्दोलन समिति, बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन निरंतर न केवल कार्य कर रहे हैं, बल्कि अब तक बिना दहेज के तेरह जोड़ियों को प्रणय सूत्र में बंधवा चुके हैं। ऐसे विवाहोत्सव पर न केवल वर-वधूओं के माता-पिता व परिजन शामिल होते हैं बल्कि इलाके के कई गणमान्यों की गरिमामयि उपस्थिति एवं उनके द्वारा इन वर-वधुओं को दिये गए शुभाशीष समाज को एक नया संदेश देकर दानवरूपी दहेज के विरुद्ध समाज को बदल देने वाली प्रेरणा साबित हो रही है। अभी हाल ही में 25 फरवरी 2018 को भागलपुर के स्थानीय देवी बाबू धर्मशाला में कुछ इसी तरह दो वर-वधुओं की शादी बिना दहेज के कराकर सुमन ने अपनी संकल्प शक्ति को पूरा करने की दिशा में 13 वां शादी कराकर एक मिसाल पेश की। इन दो वर-वधुओं में वर पक्ष के दो लड़के भागलपुर के हसनगंज (मिरजान) स्थित किशोरी प्रसाद साह के बड़े पुत्र विजय कुमार साह एवं मंझले पुत्र अजय प्रकाश साह और वधु पक्ष के एक नाका चौक पूर्णिया सिटी निवासी गणेश प्रसाद साह की बेटी किरण एवं दूसरी गामी टोला कटिहार निवासी उमेश प्रसाद साहा की बेटी साक्षी को एक साथ एक ही मंडप पर दोनों वर-वधुओं के माता-पिता,परिजन एवं अन्य गणमान्यों की मौजूदगी में हिन्दू रीति-रिवाज के साथ प्रणय सूत्र में बंधवाकर सुमन के पहल पर बिना दहेज के पति-पत्नी का दर्जा दिलाया गया। दोनों पक्ष के लोग दहेजमुक्त वाली इस शादी समारोह में अति उत्साहित दिख रहे थे। मौके पर वधु किरण के माता-पिता आरती देवी एवं गणेश प्रसाद साह(पूर्णिया)और साक्षी के माता-पिता अंजलि देवी एवं उमेश प्रसाद साह (कटिहार) ने खुशी के आँसू छलकाते हुए कहा कि गौतम सुमन की जरा सी पहल पर आज हमारी बेटियों के हाथ भी पीले हो गए और हमारी घर-जमीन के साथ हम कर्जदार बनने से भी बच गए। इन द्वेय माता-पिता ने कहा कि बेटी की शादी के लिए हमारे पास टूटा-फूटा घर के अलावा कुछ और नहीं था,बेटी के जन्म लेते ही हमें इसकी शादी की फिक्र खाए जा रही थी ।इन्होंने बताया कि उनकी बेटियाँ बेटों से बढ़कर है ।ये कभी हमें किसी बात की फिक्र नहीं होने दी। दोनों लड़की खुद दूसरे बच्चों को पढा़कर अपनी पढ़ाई करती रही। आज दोनों बीए की पढ़ाई पढ़ रही थी कि दोनों के माता-पिता के समक्ष गौतम सुमन की पहल हुई जो कि उनके लिये आज वरदान साबित हुआ। बिना दहेज व उपहार के दुल्हन कबूल करने के लिए दोनों बच्चियों के माता-पिता व परिजनों ने अपने-अपने दामाद व समधी-समधन सहित सुमन का आभार प्रकट किया और कहा कि काश कि हर लड़के के माता-पिता हमारी समधी-समधन जैसे हों। वहीं दोनों वर के माता-पिता शोभा देवी एवं किशोरी प्रसाद साह ने कहा कि दहेज लेकर बहुओं को घर में लाना, मैंने मुनासिब नहीं समझा ! जिन्दगी को सिर्फ बटूओं में समेटना, मैंने मुनासिब नहीं समझा !! उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी कि दो बहू के रूप में उसे दो बेटी मिली है। बेटी-बहू से बढ़कर दुनिया में कोई दौलत या दहेज हो ही नहीं सकता।
इस मौके पर दोनों दूल्हे राजा विजय और अजय से बात करने पर इन दोनों ने कहा कि दहेज एक सामाजिक दानव है और हम मानव ।हमने इस दानव का विरोध कर अपनी-अपनी जीवन संगीनी को घर ले आया। उन्होंने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि आज मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के दहेज विरोधी मिशन और गौतम सुमन मामा जैसे समाजसेवि के कारण हमने अपनी मानवता को साबित कर दिखाया है। इस बावत गौतम सुमन कहते हैं कि यूँ तो शांति-सदभाव व सांप्रदायिक एकता को बरकरार रखने के लिए वे सदैव समर्पित हैं और दहेज ऐसे सामाजिक दानव के विरुद्ध वे युवावस्था से ही लड़ते आ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री नीतिश कुमार द्वारा शराब बंदी,दहेज विरोधी,बाल विवाह प्रतिबंद एवं बेटी बचाओ-उन्हें भी पढ़ाओ मिशन ने उनके इरादों को मजबूती प्रदान की है। उन्होंने बताया कि इस मिशन को बल देने के लिये वे मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को आदर्श व प्रेरणास्रोत गुरू मानते हुए संकल्पित होकर व्रत ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की दहेज विरोधी शादी कराकर वर-वधु पक्ष की वे स्वयं निगरानी भी करते हैं और उन्हें ऐसे नेक कामों से आत्म संतुष्टि मिलती है। हम बता दें कि श्री सुमन ऐसे नेक कामों को अंजाम देने में सदैव समर्पित रहे हैं। जात-पात,ऊँच-नीच का भेद-भाव भूलाकर सांप्रदायिक सदभाव का जीता जागता मिसाल पेश करते हुए विगत 12 सालों से सुमन पाक-ए-रमजान माह में न केवल तीस दिनों तक रोजे पर रहते हैं बल्कि इन दिनों एक पहर का अपने हिस्से का भोजन किसी एक गरीब को खिलाते हैं।
इस माह में पूरे तीस दिनों तक बाल-दाढ़ी,नाखून कटाये बगैर जमीन पर सोने वाले सुमन हिन्दी रचित कुरान-ए-मजीद पढ़कर लोगों को जुवान पाक-साफ रखने तथा सर्वधर्म समभाव बनाकर ईमान का खयाल रखने की नशीहत देते हैं और फिर इन तीस दिनों बाद ईद के मौके पर अपने लिए नहीं बल्कि गरीब-लाचार बच्चों की खातिर पाँच जोड़ी कपड़े खरीदकर उन्हें अपने हाथों पहनाते हैं फिर उनके साथ बैठकर भोजन करने के बाद उसकी हँसी-खुशी को ईद मानते हैं। शांति समिति सह पुलिस पब्लिक समन्वय समिति के सक्रिय सदस्य होकर अपनी भाषा अंगिका और अंग क्षेत्र की साहित्य-सभ्यता,संस्कृति-अस्मिता,शिक्षा-चिकित्सा,औधोगिक व्यवस्था आदि के समुचित सम्मान व अधिकार देने-दिलाने की दिशा में वर्षों से संघर्षरत हैं। छियालिस वर्षीय सुमन गरीब-गुरबों और जरूरतमंदों को अब तक बियालिस बार रक्त दान कर चुके हैं और अब मरणोपरांत देह दान का संकल्प लिए हुए हैं। सुमन कहते हैं कि वे कोई नेता या अभिनेता बनने की तमन्ना नहीं रखते बल्कि अपने अंग क्षेत्र का बेटा बनकर अपने मानव जीवन को सार्थक करना चाहते हैं । उन्होंने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे स्वयं इन दहेज विरोधी वर-वधुओं को उनके घर आकर इन्हें आशीर्वाद दें ताकि समाज में नेक संदेश का परचम लहराये और मुख्यमंत्री नीतिश कुमार एक नेता के रूप में नहीं बल्कि एक प्रणेता के रूप में जाने जाएँ ।
मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के मिशन ने मेरे नेक इरादों को किया मजबूत : गौतम
