कुमार संभव एक मीडिया प्रोफेशनल हैं. कुमार बताते हैं कि पिछले 10 सालों में भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए काम करते हुए उन्हें कई मौके मिले. क्षेत्रिय समाज के लिए कुछ करने की शुरुआत महुआ से हुई, जो भोजपुरी की पहला भोजपुरी चैनल था. एंटरटेनमेंट में 4 साल काम करने के दौरान कई ऐसे कार्यक्रम थे, जिस का हिस्सा बना. विशेष रूप से बिहार एक खोज एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसमें बिहार के ऐसे धरोहर को दिखाने का मौका मिला. जो कभी भी राष्ट्रीय पोर्टल में एक साथ नहीं आया था.
उस कार्यक्रम की तारीफ पढ़े लिखे तबके ने की. एक्जक्यूटिव प्रोडूसर या प्रोग्रामिंग हेड का काम करते वक्त एक बेहद बड़ी चुनौती यह आती है कि आप जो कंटेंट बना रहे हैं या जो कार्यक्रम आप बना रहे हैं, उससे व्यवसायिक रूपत्य में भी सफल होना जरूरी होता है और शुरू से ही मेरा मानना है कि आप किसी भी तरह के कंटेंट को बनाएं उसका कमर्शियल फिजिबिलिटी जरूरी है. कॉमर्स को कंटेंट के साथ पिरोना ही असल काम है. किसी भी क्रिएटिव डायरेक्टर का महुआ के बाद बिग गंगा से जुड़ना और बिग गंगा का सफल होने के पीछे गुरुमंत्र यही रहा है.
कुमार बताते हैं कि फिलहाल बिहार के 2 रेडियो स्टेशन से जुड़ा हुआ हूं, 95 बिग एफएम पटना और 92.7 बिग एफएम मुजफ्फरपुर. यह दोनों शहर काफी ऐतिहासिक है काफी पौराणिक है और यहां के लोग बेहद जागरूक और संवेदनशील हैं. रेडियो की एक अपनी पहचान होती है, रेडियो के काम करने का तरीका टेलीविजन से थोड़ा अलग होता है. कोशिश यह है मेरी कि जिस तरीके से टेलीविजन में हमने हमारी टीम ने सफलता हासिल की है. वही सफलता हम रेडियो कि इन दोनों स्टेशन पर भी दोहरा रहे हैं. मेरी बस यही इच्छा है कि आने वाले समय में यहां इस तरह के इंस्टिट्यूट्स खोलें और इस तरह का काम ज्यादा हो कि यहां के लोगों को भी काफी मौके मिले, जिससे वह अपने स्किल को डेवलप कर सकें.
मिडिया प्रोफेशनल कुमार संभव की कहानी, उनकी जुबानी
