20-01-2018 :
हम आपको बता दें कि शराबबंदी के पक्ष में बनने वाली मानव श्रृंखला सबसे बड़ी और लंबी मानव श्रृंखला बनाकर बिहार ने 21 जनवरी, 2017 को रिकॉर्ड बनाया था। वहीं इस बार दहेज-प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ बनने वाली मानव श्रृंखला की अपार सफलता के मद्देनजर गिनीज बुक और लिम्का बुक फिर से एक बार नजर बनाए हुए हैं। इतना ही नहीं लिम्का बुक ने तो 21 जनवरी 2018 को आयोजित दहेज और बाल विवाह विरोधी अभियान के लिए मानव श्रृंखला के रिकॉर्ड को परखने के लिए टीम भेजने की स्वीकृति तक दे दी है।
सामाजिक सरोकार के अहम विषय दहेज बंदी और बाल विवाह जैसे मुद्दे पर बनने वाली मानव श्रृंखला के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रुप से एक पत्र जारी करते हुए बिहार की आम आवाम से मानव श्रृंखला में शामिल होने का आह्वान किया है। मानव श्रृंखला के माध्यम से दहेज एवं बाल विवाह उन्मूलन अभियान को व्यापक समर्थन एवं सहयोग देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी को धन्यवाद दिया है। इस अभियान को लेकर गांव से लेकर शहर तक के गली-मुहल्लों और स्कूल से लेकर सार्वजनिक स्थलों पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। युवाओं में बिना दहेज के शादी करने के लिए अभिभावकों का भी समर्थन मिलने लगा है।
इतना ही नहीं बाल विवाह के प्रति भी लोग सचेत हो रहे हैं। सबके सहयोग के बूते बिहार के हर घर, हर परिवार एवं समाज के लोग इसके प्रति पूरी तरह से जागरुक हैं। सूबे के सभी वर्गों धर्म एवं आयु समूह के लोगों का सहयोग मिलेगा एवं सामाजिक सुधार में फिर से एक बार इतिहास रचने को तैयार है।
आपसी मिल्लत एवं सौहार्द के साथ किए गए प्रयास हमेशा सफलीभूत होते हैं। पिथली बार की तरह इस बार बनने वाली मानव श्रृंखला का भी एक सामाजिक संकल्प है। इसके माध्यम से समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ एक संयुक्त अभियान है जिससे यह ज्ञात होता है कि सच हम सभी सामाजिक कुरीतियों का मिल जुलकर खात्मे के लिए तैयार हैं।
बाल विवाह और दहेज प्रथा उन्मूलन हेतु बनने वाली मानव श्रृंखला के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से अपील की है। इनके अपील के बाद लगता है कि इस बार बनने वाली मानव श्रृंखला अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ देगी। समाज की इन कुरीतियों से समाज का हर तबका किसी न किसी रुप में परेशान है। लेकिन इसकी अगुवाई करने वाले मुख्यमंत्री ने माइक्रो लेबल पर इसकी तजबीज करने के बाद जो कदम शराबबंदी के पक्ष में उठाया था, उस पर दुनिया की नजर थी। सफलता भी बड़े पैमाने पर मिली और रिकॉर्ड बन गया।
इस बार सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आयोजित होने वाली इस मानव श्रृंखला की तैयारी से ऐसा प्रतीत होता है कि बार फिर बिहार मानव श्रृंखला बनाकर रिकॉर्ड कायम करेगा।