खगरिया- अपने रोद्र के लिए चर्चित कोसी नदी अपना रास्ता ढूंढ रही है। सामने जो आ रहा है, उसे तेहस-नहस कर दे रही है। और कोसी के इस कहर के बीच भारतीय रेल की ट्रेनें बेबस खड़ी हैं। हम बात कर रहे हैं कोसी नदी के पास बनी रेलवे लाइन, जहां पिछले 3 सालों से नदी अपना विकराल रूप दिखा रही है।
3 सालों से रेल ने अंतिम क्षणों में किसी प्रकार कोसी की विकरालता कम करने में सफलता हासिल कर ली थी, लेकिन इस बार फिर कोसी ने अपना रौद्र रूप दिखा ही दिया।
मानसी-सहरसा रेलखंड के बीच धामरा-कोपरियां के बीच 3 साल से कोसी नदी के द्वारा रेल लाइन के करीब कटाव हो रहा है। कटाव होने के समय रेल मंत्रालय के द्वारा यहां पर आनन फानन में बोल्डर पिचींग समेत अन्य कार्य करा कर किसी तरह रेल लाईन को बचा लेती है। दो साल तो बोल्डर पिचींग करके इस रेलखंड पर परिचालन को रुकने से रेल विभाग ने बचा लिया था। लेकिन इस बार रेल परिचालन को रूकने से बचाना बेहद कठिन हो गया और 24 जुलाई को आखिर रेलखंड पर परिचालन को रोकना पड़ा।
गौरतलब हो कि कोसी क्षेत्र के अधिकांश लोग मजदूरी करने के लिए पंजाब दिल्ली समेत अन्य राज्य जाया करते हैं। उन लोगों को मजदूरी के लिए इसी रेल-रूट से आना जाना होता है। पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में सहरसा मानसी रेलखंड को छोटी लाईन से बड़ी लाईन में तब्दील किया गया था।
उसके बाद इस क्षेत्र की समस्याओं को देखते हुए कई ट्रेनें चलायी गई थीं। लोगों को देश की राजधानी जाने तक में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही थी। वहीं अब इस रेलखंड पर से गाड़ियों का परिचालन बंद होने के कारण इस क्षेत्र के लोगों को रोजी-रोटी की भी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
तो इस मामले मे मानसी स्टेशन अधीक्षक अशोक कुमार का कहना है कि मानसी सहरसा रेलखंड पर गाड़ियों की जल्द से जल्द परिचालन कराने का प्रयास रेल विभाग द्वारा किया जा रहा है कब तक परिचालन शुरू होगा इसके संबंध में कुछ भी कह पाना मुश्किल है।