सिंहनान/रजौन:- विगत कुछ दिनों बाद रमजान का पाक महीना चालू होने वाला हैं. ऐसे में रजौन, सिंहनान की तरबूज की मांग भागलपुर, मुंगेर सहित झारखंड के अन्य प्रांतों में काफी रहती है. परन्तु हाल के दिनों में तरबूज की मिठास बालू उठाव ने फीका कर दिया हैं. जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छायी हैं. किसान बिना कोई सरकारी सुविधा के तरबूज की खेती को आगे बढ़ाकर दिनों-दिन एक मिसाल कायम कर रहे हैं. समस्त ग्रामीणों एवं किसानों का साफ तौर पर कहना हैं कि अगर प्रशासनिक सुविधा मिले तो किसानों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होगी और देश भर में तरबूज की खेती के लिए “सिंहनान” देश-विदेश तक गूंजेगी. और किसान एक अच्छे पायदान पर पहुंचेगी.
नुकसान:- सैकड़ों एकड़ में होती हैं तरबूज की खेती, सिंहनान की तरबूज की मांग झारखण्ड सहित अन्य प्रांत में.
जानकारी के अनुसार चांदन पूर्वी तट पर अवस्थित बांका जिले के रजौन प्रखंड अंतर्गत सिंहनान पंचायत सिंहनान,धोबीडीह, खुशहालपुर, रयपुरा, अमदाहा आदि गांवों में तरबूज की बड़े पैमाने पर खेती होती है. किसान गोपाल सिंह, अनिरूद्ध मंडल, ललन कुमार सिंह, श्रीधर कुमार सिंह, भोला सिंह, पंकज कुमार सिंह आदि ने बताया कि वर्ष 2075 में आई विनाशकारी बाढ़ ने सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि में बालू भर गया था. इसके बाद लगातार बालू का उठाव होते रहने से सिंचाई नहीं हो पाती हैं. जिस कारण किसान तरबूज, नेनुआ ,परोल की खेती करने लगे. किसानों ने बताया कि तरबूज का बीज दिसम्बर से जनवरी तक में लगाया जाता हैं . तरबूज की खेती के लिए करीब 16 हजार केजी हाईब्रिड का बीज खरीदना पड़ता हैं. 100 ग्राम बीज की कीमत 1600 रूपये लागत आता हैं. एक केजी बीज ढ़ाई से तीन बीघा जमीन पर लगाई जाती हैं.
किसानों ने बताया कि चांदन नदी से बालू उठाव के कारण जलस्तर काफी नीचे गिरते जा रहा हैं. इस कारण तरबूज की खेती को प्रभावित किया हैं. किसान गोपाल सिंह, अनिरूद्ध सिंह ने बताया कि यहां के तरबूज की प्रसिद्धि दूर-दूर तक हैं. व्यापारी देवघर, दुमका, राँची, धनबाद, गोड्डा, बांका, भागलपुर और मुंगेर लखीसराय से आते हैं. लेकिन लागत के हिसाब से भाव नहीं मिलता हैं. किसान श्रीधर कुमार सिंह ने बताया कि सिंचाई के आभाव में तरबूज में मिठास कम हो जाता हैं.
बालू उठाव को लेकर स्थानीय जगदीशपुर पुलिस पर जमकर बरसे किसान
समस्त किसानों ने बताया कि जगदीशपुर पुलिस और कुछ कथित पत्रकार के इशारे पर बालू का उठाव निरंतर जारी हैं. अब ऐसा लगता है कि बिहार में अफसरशाही का राज हैं. रोज का रोज हजारों ट्रेक्टर मैनेज कर स्थानीय पत्रकार के इशारे पर चल रही है और थानाध्यक्ष को मोटी रकम मिल रही हैं. “अंधा गुरू बहरा चेला” वाली कहानी की तर्ज पर सबकुछ हो रहा हैं. एक ओर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय लगातार डंका पीट रहे है वहीं दूसरी ओर जगदीशपुर पुलिस खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए किसानों पर पानी फेर रहे हैं.
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