पटना:- राजधानी पटना का दिन सोमवार को ऐतिहासिक रहा। सूबे में पहली बार ब्रेन डेड बॉडी से अंग प्रत्यारोपण के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। विमान से नालंदा के हिलसा निवासी 19 वर्षीय सौरभ का दिल कोलकाता और लीवर नई दिल्ली भेजा गया। इसके लिए आईजीआईएमएस से पटना एयरपोर्ट तक दो बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। आईजीआईएमएस के ट्रांसप्लांट ओटी में सबसे पहले किशोर का 3 बजकर 30 मिनट पर डॉक्टरों ने हृदय निकाला। उसे 3 बजकर 40 मिनट पर एंबुलेंस के जरिए एयरपोर्ट पहुंचाया गया। इसके आधे घंटे बाद सवा चार बजे लीवर और साढ़े चार बजे नेत्र निकाला गया। लीवर ले जाने के लिए दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर सवा चार बजे बनाया गया। ग्रीन कॉरिडोर के कारण आईजीआईएमएस से एयरपोर्ट तक पहुंचने में सिर्फ पांच मिनट का समय लगा। किडनी इसीलिए नहीं निकाली गई क्योंकि डॉक्टरों ने इसकी जरूरत महसूस नहीं की। एयरपोर्ट से दिल को स्पाइस जेट की फ्लाइट संख्या 375 से शाम साढ़े चार बजे कोलकाता और लीवर को जेट एयरवेज की 9डब्ल्यू 731 से शाम पांच बजे दिल्ली भेजा गया। आंख आईजीआईएमएस में ही सुरक्षित रख लिया गया है।
किडनी प्रत्यारोपित मां ने दी अनुमति: अंग प्रत्यारोपण के लिए मां ने अनुमति दी। सौरभ की मां सरिता सिन्हा को उसके भाई ने किडनी दान की थी। बच्चे का अंग किसी दूसरे के काम आ जाए इसलिए मां ने डॉक्टरों को अंगदान करने की सहमति दे दी।
छत से गिरने पर लगी थी चोट: हिलसा निवासी शशिभूषण प्रसाद का पुत्र सौरभ प्रतीक 19 सितंबर को छत से गिर गया था। उसके सिर में गंभीर चोट आ गई थी। पहले उसे एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने स्थिति को गंभीर बताया। उसे आईजीआईएमएस में 22 सितंबर को भर्ती कराया गया। 23 सितंबर को आईजीआईएमएस की ब्रेन डेथ कमेटी ने ब्रेन को डेड घोषित कर दिया। किशोर की मां सरिता सिन्हा जो खुद किडनी प्रत्यारोपित मरीज हैं उन्होंने बच्चे के अंगदान की इच्छा जाहिर की।
पहले आईजीआईएमएस में ही होना था लीवर का प्रत्यारोपण
ब्रेन डेड सौरभ का लीवर पहले आईजीआईएमएस में ही एक मरीज को प्रत्यारोपित होना था। लेकिन प्रत्यारोपण से एक दिन पहले मरीज को खांसी हो गई। ऐसे में नई दिल्ली एम्स से आए विशेषज्ञों ने प्रत्यारोपण की अनुमति नहीं दी। इसके बाद हृदय कोलकाता और लीवर दिल्ली भेजा गया।
आईजीआईएमएस ने किशोर के हृदय के लिए रिजनल आर्गन टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन कोलकाता और आईएलबीएल नई दिल्ली से संपर्क किया। नई दिल्ली से आई डॉक्टरों की टीम आईजीआईएमएस में ही लीवर प्रत्यारोपण करना चाहती थी लेकिन जिस मरीज को लीवर प्रत्यारोपित किया जाना था। उसे खांसी थी इसीलिए डॉक्टरों ने मना कर दिया। बाद में विमान से डॉक्टर लीवर को नई दिल्ली और हृदय कोलकाता भेजा गया। डॉक्टरों ने नालंदा के उस दंपती को धन्यवाद दिया है जिन्होंने अपने बच्चे के अंगदान के लिए साहसिक कदम उठाया।