लोक आस्था का महापर्व यूपी-बिहार-झारखंड का प्रसिद्ध त्योहार है | डाला छठ का चार दिवसीय महापर्व शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ। शनिवार को खरना में शाम को व्रत रखने वालों को नहलाकर नए कपड़े पहनाए जाएंगे। गुड़ चावल की खीर बनाई जाएगी। रविवार शाम ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। दूसरे दिन सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा। यूपी बिहार प्रवासियों के घरों में इस महापर्व को लेकर उत्साह बना हुआ है।
यूं तो ऋग्वैदिक काल से सूर्योपासना होती आ रही है…लेकिन छठ पर्व सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना का महापर्व है। छठ महापर्व के दौरान हिंदू धर्मावलंबी भगवान भास्कर (सूर्य देव) को जल अर्पित कर आराधना करते हैं। हिन्दू धर्म के पंच देवों में से एक सूर्य देव की पूजा से ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
नहाय खाय से आरंभ होकर चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का समापन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ होता है। यह पर्व चार दिनों का है। इस साल छठ पर्व 4 नवंबर से 7 नवंबर, 2016 तक मनाया जाएगा।
4 नवंबर (नहाय-खाय) : लोकपर्व छठ की शुरुआत 4 नवंबर (शुक्रवार) को होगी। इस दिन छठ व्रती सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेंगे। व्रती विशेषकर कद्दू की सब्जी का सेवन करते हैं। इस दिन को कद्दू-भात का दिन भी कहते हैं।
5 नवंबर (खरना) : सांध्यकालीन अर्घ्य के एक दिन पूर्व खरना का विशिष्ट महत्व का है। पूरे दिन उपवास रहकर व्रती शाम को खीर-रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को मित्रों परिचितों को खिलाने की होड़ रहती है। इस बार इसका मुहूर्त शाम 5.58 बजे से 6.26 बजे के बीच है।
6 नवंबर (सांध्यकालीन अर्घ्य) : अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की यह पूजा नदी, तालाब, पोखर के किनारे की जाती है। अब तो लोग घरों में भी पानी जमाकर सूर्य की पूजा करते हैं। इसमें सूर्यास्त के पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पटना में इस दिन सूर्यास्त संध्या 05.05 बजे होगा, इसलिए उस समय तक अर्घ्य दान का मुहूर्त है।
7 नवंबर (उदीयमान सूर्य को अर्घ्य) : सांध्यकालीन अर्घ्य केे बाद रातभर प्रतीक्षा की जाती है। इस साल सोमवार की सुबह 06.01 बजे सूर्योदय होना है, इसलिए इस समय उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिनों के छठ व्रत का समापन हो जाएगा।