जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव फिर से अपने एक बयान को लेकर विवाद में फंस गये हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार को घेरने के लिए उन्होंने जो बोला वो खुद उनके लिए मुसीबत बन गया है। दरअसल शरद यादव ने कानपुर में मोदी सरकार पर बेरोजगारी को लेकर हमला बोलते हुए कहा कि अगर रोजगार होता तो कांवड़ियों की इतनी बड़ी तादाद सड़कों पर न होती। उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा, युवाओं को रोजगार देने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई, लेकिन वह ये वादा पूरा नहीं कर सकी। इसकी मिसाल है हाल ही में सड़कों पर निकले लाखों कांवड़िए।
शरद यादव मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में खुद निशाने पर आ गए हैं। वह बेरोजगारी पर बोले पर उदाहरण दे दिया बढ़ती कांवड़ियों की संख्या का। शरद यादव के इस बयान के बाद वो लोगों के निशाने पर आ गए। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हर जगह शरद यादव के बयान की आलोचना हो रही है।
उन्होंने बेरोजगारी को लेकर सरकार पर तंज कसने के लिए कांवरियों को आधार बनाते हुए कहा कि कांवरियों की संख्या देखकर अंदाजा लगाया सकता है कि देश में कितने बेरोजगार युवक सड़कों पर हैं। इनके पास काम होता तो वह नहीं दिखते। उन्होने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जो भी वादे किए, वह आज तक पूरे नहीं किए। उन्होंने सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं को भी एक बड़ी समस्या बताया। उनका कहना था कि इस समस्या को खत्म करने के लिए गोभक्तों को आगे आना चाहिए। इन आवारा पशुओं की वजह से खेत उजड़ रहे हैं। इनकी वजह से सड़कों पर दुर्घटना हो रही हैं। उनका कहना था कि पशु इधर-उधर किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से चमड़ा उद्योग भी चैपट हो रहा है।
शरद यादव के इस बयान से शिव भक्तों के साथ ही धर्मगुरु भी नाराज हैं। धर्म गुरूओं ने इस बयान पर विरोध दर्ज करवाया है. उत्तर भारत में सावन के महीने में शिव भक्त जलाभिषेक के लिए निकलते हैं. सालों से ये परंपरा चली आ रही है. इनमें हर तबके के भक्त होते हैं, ऐसे में भक्तों को बेरोजगार बता कर शरद यादव बुरी तरह से घिर गए हैं।