अश्विन महीने की अमावस्या को हमारे पितृ धरती से विदा लेंगे और उसी के साथ मां दुर्गा का आवाहन पूजन भी शुरु हो जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार महालया की शुरुआत अश्विन महीने की अमावस्या पर होती है। महालया को दुर्गा पूजा का पहला दिन माना जाता है और इसी के साथ दुर्गा पूजा और नवरात्रि 2017 की शुरूआत होती है। इस बार नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू होगा जो 29 सिंतबर तक चलेगा।
महालया अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध व तर्पण और उनका विसर्जन करते हैं। इस दिन पितर 15 दिनों तक धरती पर रहने के बाद वापस स्वर्गलोक को चले जाते है। इस दिन जल और पिंड पितरों को प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में देवतागण अपना स्थान धरती से छोड़ देते हैं। देवी- देवताओं के स्थान पर 15 दिनों तक पितरों का वासा होता है। अमावस्या की तिथि पर पितर अपने परिवार के सदस्यों को सुख-शांति का आशीर्वाद देते हुए वापस देवलोक चले जाते है। महालया के दिन से देवी-देवता फिर से अपने स्थान पर वापस लौट आते है। महालया से दोबारा देवी-देवताओं की पूजा आराधना आरम्भ हो जाती है। इसके बाद ही लोग नवरात्रि, विजयादशमी और दीवाली का त्योहार मनाते है। देशभर में लोग नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना करेंगे और व्रत रखेंगे।
अक्सर लोगों में एक बात हमेशा रहती है कि क्या उनकी पूजा सफल हुई, या अधूरी ही रही। अगर आपके मन में भी यही सवाल आता है तो इसे जानने का बेहद आसान तरीका है।
नवरात्रि के समय पर जो व्यक्ति व्रत और मां दुर्गा का सप्तशती का पाठ करता है, वे लोग मिट्टी के कुल्हड़ में जौ बो देते हैं और इसी से मालूम चलता है कि उनकी पूजा कितनी सफल रही। जौ बोए कुल्हड़ में तीसरे दिन अंकुर फट जाता है और इन अंकुरित जौ को बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि अंकुरित जौ में काले रंग के अंकुर उगते हैं तो उस वर्ष निर्धनता बढ़ने की संभावना रहती है। धुंए के समान रंग वाले जौ का उगना इस बात की ओर संकेत करता है कि आने वाले समय में परिवार में कलह हो सकती है। अगर इन समय जौ नहीं उग पाते है तो ये अधिक अशुभ होता है। इसका मतलब जन हानि से होता है। साथ ही कार्यों में बाधा भी आती है। जौ यदि रक्त वर्ण के उगते हैं तो रोग व्याधि या शत्रु का भय रहता है। हरा रंग धन धान्य का सूचक होता है। सफेद रंग का जौ उगना शुभकारी माना जाता है और साधक की अभिष्ट सिद्धि की ओर इंगित करता है। शास्त्रों के अनुसार आधे हरे और आधे पीले अंकुर पहने काम बनने और फिर हानि होने की ओर संकेत करते हैं।
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