क्या प्रशान्त को मिलेगा न्याय ? राजनीतिक रसूख रखने वाले राजीव रंजन के साथ जमीन खरीद-बिक्री विवाद

पारसनाथ

पटना : पिछले कई वर्षों से जिस दोस्ती के सहारे वह घर में रहा| सुख-दुःख में एक-दूसरे को सहयोग किया। अब उसी दोस्त का आरोप है कि उसके सबसे अजीज दोस्त ने पैसे के लिए विश्वासघात कर दिया। जबकि दोस्त के पूरे परिवार को भी उस पर काफी भरोसा था। यह घटना राजधानी पटना की है जहाँ पैसों की लेनदेन के कारण न सिर्फ दोस्ती में दरार पैदा हो गया बल्कि अब दोस्त एक दूसरे का दुश्मन बन सबक सिखाने के लिए कोर्ट और थाना का चक्कर काट रहे हैं।

गौरतलब है कि एसपी वर्मा रोड स्थित एडवांस आईटी, शांति भवन शॉप नंबर 2 के मालिक (संचालक) प्रशांत जायसवाल ने अपने मित्र राजीव रंजन को मुजफ्फरपुर (कन्हौली) स्थित जमीन (1 कट्ठा 16 धूर) के एवज में 7 लाख रूपये देकर एकरारनामा किया था। एकरारनामा के बाद जमीन की रजिस्ट्री हेतु कई किश्तों में अलग-अलग तिथि को प्रशांत जायसवाल ने आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से राजीव रंजन के बैंक खाते में कुल 18 लाख 50 हजार रुपया ट्रांसफर किया| इस प्रकार कुल 25 लाख 50 हजार रुपया प्रशांत जायसवाल ने राजीव रंजन को जमीन की रजिस्ट्री हेतु दे दिए।

उक्त जमीन राजीव रंजन की माँ मृदुला सिन्हा के नाम था। इसलिए मृदुला सिन्हा के साथ 17 मई 2015 को प्रशांत जायसवाल का एकरारनामा हुआ जिसमे अगले छः माह के अंदर विक्रय विलेख संपादित करने का समय निर्धारित हुआ। लेकिन एकरारनामा संपादित करने के कुछ ही महीने बाद राजीव रंजन के माता-पिता की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी। माँ की मृत्यु के पश्चात जमीन की रजिस्ट्री हेतु प्रशांत जायसवाल ने कई बार राजीव रंजन से बात की। लेकिन हर बार वो टाल-मटोल करता रहा।
इसी क्रम में एग्रीमेंट की गयी जमीन के सिलसिले में जब प्रशांत जायसवाल ने पता किया तो यह बातें सामने आई कि 24 नवम्बर 2015 को रजनी कुमारी (डीड संख्या-21224) के नाम एक कट्ठा जमीन जबकि 8 जनवरी 2016 को (डीड संख्या-460) शेष 16 धूर जमीन को रजिस्ट्री (हस्तांतरित) कर दिया गया है।

प्रशांत जायसवाल ने पूरी घटना की जानकारी देते हुए कहा कि जब हमें धोखाधड़ी का एहसास हुआ, उसके बाद 5 दिसंबर 2018 को कोतवाली थाना (पटना) में ग्राम+पोस्ट- लोमा, थाना- तिसौता, जिला- वैशाली के निवासी राजीव रंजन के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराया। वाद संख्या 834/2018 की जांच और अनुसंधान के क्रम में भारतीय दंड सहिंता की धारा 406/420/120 (बी) के तहत आरोप को सही पाते हुए कोतवाली डीएसपी ने अनुसंधानकर्ता को अभियुक्त राजीव रंजन को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश निर्गत किया।
डीएसपी ने निर्गत किये अपने प्रतिवेदन में गिरफ्तारी नहीं होने की स्थिति में राजीव रंजन के खिलाफ कुर्की जब्ती की कार्रवाई सुनिश्चित करने की बात कही। इसके बाद अभियुक्त द्वारा न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की गयी जिसपर सुनवाई के क्रम में तथ्यों एवं सबूतों को देखते हुए कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी। बावजूद इसके आज तक राजीव रंजन को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है।
प्रशांत जायसवाल ने बताया कि राजीव रंजन सत्ता पक्ष के एक राजनैतिक दल से जुड़ा हुआ है इसलिए पोलिटिकल प्रेशर के कारण पुलिस उसे गिरफ्तार करने से परहेज कर रही है| उन्होंने कहा कि न्याय पाने की आस में हर रोज हम कभी सिटी एसपी कार्यालय तो कभी कोतवाली थाना का चक्कर काटने को मजबूर हैं। प्रशांत जायसवाल की माने तो पटना सिटी एसपी से मिलना तो दूर न्याय की गुहार लगाने के लिए दूरभाष पर भी बात करना मुश्किल है। ऐसे में जाए तो जाए कहाँ ?

दूसरी और राजीव रंजन से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर उनका मोबाइल फ़ोन लगातार स्विच ऑफ बता रहा है।

अब बड़ा सवाल यह है कि न्याय के साथ विकास का ढिंढोरा पीटनेवाली नीतीश सरकार में लोगों के साथ क्या वाकई न्याय हो रहा है ? क्या पटना पुलिस पीपुल फ्रेंडली है ? राजनैतिक रसूख रखनेवाले राजीव रंजन का सत्ता पक्ष से संबंध है इसलिए पटना पुलिस उनपर हाथ डालने से परहेज कर रही है या प्रशांत झूठे मुक़दमे में फंसाने का प्रयास कर रहे हैं ? ऐसे कई अनगिनत सवाल जेहन में कौंध रहे हैं।

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