पटना। शनिवार को राजधानी स्थित अनीसाबाद के उड़ान टोला मोहल्ले में सूबे के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सरस्वती पूजा समारोह में शिरकत किये । मोहल्ले के युवाओं ने तेजस्वी का गर्मजोशी से स्वागत किया । आपको बताते चले कि पूजा समारोह में बनाई गई माँ सस्वती की प्रतिमा को खुद मयंक ने बनाया है । मयंक के इस प्रतिभा को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी ने खूब सराहा है ।
मयंक का परिचय
किसकी करूं मैं पूजा तेरे इस जहां में, एक तू है जो मिट्टी से इंसान बनाती है और एक ये है जो मिट्टी से तुझे…चंद शब्दों के मेल से बना यह शेर सरस्वती भक्त मयंक की कलाकारी को बिल्कुल सटीक है। ऐसा कलाकार जिसे विरासत में कोई कला नहीं मिली, जिसने अपने लगन और जज्बे से ये साबित कर दिया कि इंसान अगर चाह ले तो कुछ भी संभव है।
मयंक ने महज 7 साल के उम्र से ही मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने की ठानी और बिना किसी प्रशिक्षण के उसने अपनी मंजिल पा ली। मयंक लगातार 23 वर्षो से हरेक साल मां सरस्वती की एक प्रतिमा बनाकर खुद से पूजा करता है। पटना के अनिसाबाद इलाके में रहने वाले मयंक शुरू से ही देवी भक्ति में रमे रहे। अपने हमउम्र लोगों के बीच मयंक को एक दोस्त की कमी सताती थी। ऐसे में मुर्तियों के सामने बैठकर वे घंटों एक टक उसकी बारीकियों को देखते थे।
मयंक ने कहा कि मूर्तियों के सामने बैठने से उन्हें सुकून मिलता था। एक दिन उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न वो खुद से मूर्ति बनाए और मां सरस्वती की पूजा करे। उसने इसी इच्छा के साथ मूर्तिकला में रमते चले गए और उनमें और निखार आया । बचपन से मयंक पढ़ाई में भी अच्छे रहे। उन्होंने साल 2012 में अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की और पटना लौट आए, उन्होंने कही और काम करने के बजाए खुद का काम करना बेहतर माना और एक वेबसाइट डिजाइनिंग कंपनी भी खोल डाली। मयंक का यह मूर्ति प्रेम आज लोगों के बीच मिसाल बना हुआ है।
मूर्तियां ही नहीं, कलाकार भी बनाते हैं मयंक
मयंक कहते हैं कि कला मन की बानगी नहीं है कि हर कोई कलाकार बन जाए। इसके लिए उचित पात्रों की पहचान करने के साथ उनकी विशेषता को उभारना होता है। उनकी इस मूर्तिकला से प्रेरित होकर कई बच्चे भी इस कला को सिख रहे है जो समाज के लिए अच्छी पहल है ।
