नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार सुबह 11 बजे संसद में आम बजट(2018-19) पेश करेंगे. मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह पांचवां व अंतिम पूर्ण बजट होगा, क्योंकि अगले साल आम चुनाव है.
ऐसे में आम आदमी को काफी उम्मीदें हैं. माना जा रहा है कि बजट में टैक्स फ्री आय की सीमा ढाई से बढ़ा कर तीन लाख रुपये की जा सकती है. वेतनभोगियों को राहत देने के लिए सरकार फिर स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू कर सकती है. हालांकि पीएम ने संकेत दिया है कि बजट लोकलुभावन नहीं होगा और सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी. इस लिहाज से सरकार के समक्ष चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2% तक सीमित रखना बड़ी चुनौती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार बजट में कृषि क्षेत्र में निवेश व बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर होगा. आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया है कि सरकार का फोकस कृषि, शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तीकरण, स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन व श्रम सुधार जैसे मुद्दों पर होगा.
इसके अलावा उद्योग जगत, छोटे कारोबारियों के लिए भी कई उपायों की घोषणा हो सकती है. ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निवेशकों की सुरक्षा के लिए भी कई घोषणाएं हो सकती हैं. उम्मीद तो यह भी है कि वित्त मंत्री वादे के अनुरूप कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटा कर 25 प्रतिशत कर सकते हैं. अगले साल होनेवाले आम चुनाव से पहले इस साल करीब आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
ऐसे में बजट में नयी ग्रामीण योजनाएं आ सकती हैं, तो मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिलेगी. राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए अधिक आवंटन किया जा सकता है. हालांकि सरकार के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है.
जीएसटी करेगा राह आसान
बजट में जीएसटी में सुधार पर भी फोकस रहने की उम्मीद है. सीआइआइ ने मांग की है कि वह जीएसटी को सरल और आसान बनाने के लिए बजट में इंतजाम करें. इससे न सिर्फ कारोबारियों को फायदा मिलेगा, बल्कि रिटर्न की संख्या बढ़ेगी. कारोबारियों के खर्च में कटौती होगी. टैक्स स्लैब की संख्या भी कम करने का इंतजाम कर सकती है.

