अवधेश नारायण सिंह का नया आशियाना कहीं “यहां” तो नहीं !

img-20170131-wa0000आनंद कौशल, वरिष्ठ पत्रकार, प्रधान संपादक, देश प्रदेश मीडिया
विधान परिषद् चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। गया स्नातक क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने वाले विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है और वे भी इस बार अपना दांव आजमा रहे हैं। अवधेश नारायण सिंह के लिए चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है सभापति की कुर्सी बरकरार रखना और इस बार ऐसा संभव नहीं दिख रहा क्योंकि संख्या बल के हिसाब से ये पद राजद के खाते में जाने वाला है। अवधेश नारायण सिंह राजनीति के माहिर रहे हैं और बिहार की सियासत में उनका दबदबा सबके राज में बराबर का रहा है। भाजपा के कोटे से सभापति रहते हुए नीतीश कुमार से भी उनकी नजदीकी की चर्चा सरेआम रही और यहां तक कहा जाने लगा था कि अवधेश नारायण सिंह जदयू का दामन थाम सकते हैं। खैर जदयू भाजपा के अलगाव के बाद अबतक वो सभापति के पद पर काबिज रहे। इधर सियासत ने फिर से करवट ली और दुबारा नीतीश और उनके महागठबंधन से अवधेश नारायण को सहायता की दरकार है। देश प्रदेश मीडिया के सूत्रों की मानें तो नीतीश ने अवधेश नारायण के खिलाफ उम्मीदवार ना उतारने का वादा किया है लेकिन भविष्य में सभापति बने रहने के लिए या दूसरी पारी के लिए उन्हें अब पार्टी ही बदलनी पड़ेगी। समाचार मिल रहा है कि राजद का दामन थामकर अवधेश सबको चौंका सकते हैं। मकर संक्रांति पर लालू के घर भोज में उनका शामिल होना यूं ही नहीं है। सूत्रों की मानें तो लालू से अवधेश नारायण की बात चल रही है और कई बातों पर सहमति भी बन चुकी है। राजनीति का यही दस्तूर है, कब कौन किसके साथ हमसफर बन जाए पता नहीं। वैसे सियासत के जानकारों की मानें तो ये राजनीति के चाणक्य का मास्टर प्लान भी है जिसे अमली जामा पहनाया जा रहा है। चलिए राजद में अवधेश नारायण की इंट्री पर भाजपा क्या करती है इसका इंतजार सबको रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *