: हिमांशु नारायण :
आज के बिहार बन्द ने सबसे पहले तो यह याद दिला दिया कि लालू जी की राजनीति जिस प्रकार की थी वैसी ही है और आगे भी रहेगी जबकि वक्त बदल चुका है और उनके दोनों बेटे आगे बढ़कर पार्टी की कमान हाथ में लगभग ले ही चुके हैं । भविष्य में भी कानून सम्मत, शांति प्रिय व्यवस्था की उम्मीद राजद से करना बेवकूफी ही होगी ।
ज्यादा आश्चर्य है नीतीश सरकार के कार्य कलापों पर….. समझ के बाहर है कि सरकार कर क्या रही है । लोग विशेषकर, गरीब भूखों मरने पर मजबूर हैं और यह उन्हें बातों में घुमाने में लगी है । लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है लेकिन नीतीश सरकार इस गम्भीर मसले को सुलझाने में सफल नहीं हो पाई है ।

बिहार में उद्द्योग धंधा के नाम पर वास्तविकता में कुछ है नहीं और यह स्थिति नब्बे के दशक के लालू राज से चली आ रही है । ले दे कर गृह निर्माण उद्द्योग चल रहा है क्योंकि जनसंख्या बढ़ती जाती है और सर पर छत अत्यावश्यक है । लालू राज में पहले अपार्टमेंट्स के निर्माण में अप्रत्याशित वृद्धि हुई थी क्योंकि कानून व्यवस्था की हालत ऐसी हो गयी थी कि अकेले घर बना कर रहने की कोई कल्पना नहीं करता था । घर बनना शुरू हुआ नहीं कि रंगदारी टैक्स की मांग शुरू हो जाती थी ।
इसी सरकार में कुछ वर्ष पहले भेद खुला था कि नक्शा में आर्किटेक्टों द्वारा गलत तरीके से भवन बनाये गए थे और इस व्यवस्था को ठीक करने के लिए वर्षों लग गए जिसकी वजह से निर्माण कार्य लंबे समय तक बन्द रहा और अब यह बालू के नाम पर निर्माण कार्यों में रुकावट । यह वो उद्द्योग है जिसमें मजदूर वर्ग की अधिकता होती है और इसके रुकने का मतलब है लाखों गरीब परिवारों के सामने कमाने-खाने के लाले पड़ने।

मेरी अपनी समझ है कि नीतीश जी मुख्यतः इस बात पर ही अपना सारा फोकस बनाये रहते हैं कि किस प्रकार वो लालू जी को समुचित जबाब दे कर, उन्हें कमजोर करते हुए खुद को सही ठहरायें । बोलें या नहीं, अंदर से वो भी जानते हैं कि उनका पहले भाजपा से अलग होना और एक बार फिर से वो ही चाल चलते हुए लालू जी से अलग हो कर भाजपा के साथ सरकार बनाने को आमजन ने स्वीकार नहीं किया है, उन्हें एक नीतिगत राजनीतिज्ञ के रूप में मानने को तैयार नहीं है ।


यह प्रश्न भी लाजिमी है कि पूर्व जानकारी के बाद भी सरकार क्या करती रही कि लोगों की मौत तक इस बिहार बन्द की वजह से हुई….. मौत का मुआवजा पैसा नहीं हो सकता मुख्यमंन्त्री जी, काश आपकी सरकार इतनी असंवेदनशील नहीं हुई होती । आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा ये प्राथमिक आवश्यकताएं होती हैं और इन तीनों विषयों पर नीतीश सरकार बुरी तरह से फेल हुई है ।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)
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