
बिहार पृथ्वी दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम को विषिष्ट अतिथि के तौर पर सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले वर्ष से बिहार के सभी सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में ‘पृथ्वी दिवस’ का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आज से 75 वर्ष पहले महात्मा गांधी ने 09 अगस्त को ही ‘अंग्रेजो भारत छोड़ों’ का नारा दिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी आज से स्वच्छ भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा दिया है। महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘ यह पृथ्वी, वायु, जल और जमीन विरासत में नहीं बल्कि अपने बच्चों से कर्ज के रूप में मिला है, जिसे हमें उन्हें वापस करना है।
उन्होंने कहा कि पृथ्वी को हमने मां के रूप में स्वीकार किया है। पौधा लगाना और एक मां की तरह उसकी रक्षा करना हम सब का दायित्व है। जल संरक्षण आज की जरूरत है। जल की बर्बादी से सभी को बचना चाहिए। प्रकृति से सामंजस्य बनाने की सीख भारतीय संस्कृति में काफी पहले से विद्यमान है। पहली रोटी गाय और आखिरी कुत्ते को देने तथा चींटी को भी बत्ताषा खिलाने की हमारी परम्परा रही है। यह सृष्टि केवल मनुष्यों के लिए ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जंतु और प्राणियों के लिए है। प्रकृति के अत्यधिक दोहन से ही आज कई संकट उत्पन्न हुए हैं।
हमें तय करना है कि हम कैसी दुनिया चाहते हैं। हमें ‘थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली’ के तर्ज पर काम करने की जरूरत है। हम जहां रहते हैं वहां अपने आस-पास स्वच्छता रखें। जल और पानी को प्रदूषण से बचाये।नदी, तालाब, पोखर को गंदा होने से बचाए। अधिक से अधिक पौधा लगाए और पेड़ों की रक्षा करें। साइकिल का प्रयोग करें। अमेरिका जैसे देष में साइकिल के लिए अलग ट्रैक बने हुए हैं। कागज के उपयोग में भी सावधानी बरतने की जरूरत है। ए-4 साइज के 20 हजार पेज का अगर हम इस्तेमाल करते हैं तो इसके लिए एक पेड़ की बलि देनी होती है। पृथ्वी को नहीं, अपने आप को बचाने के लिए प्रकृति के संरक्षण की जरूरत है।
