रविवासरीय में आज चलते हैं पाण्डवफाॅल

पाण्डवफाॅल, पन्ना टाईगर रिजर्व के पास ही खजूराहो- पन्ना, राष्ट्रीय राजमार्ग 75 से लगा हुआ एक प्राकृतिक और बेहद ही खूबसूरत और रमणीय जल प्रपात है। इस जल प्रपात की ऊंचाई लगभग 30 मीटर है। बारिश के मौसम में तो यूं लगता है जैसे इसकी खूबसूरती को चार चांद लग गए हों। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। जैव विविधता की दृष्टि से भी यह क्षेत्र अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। जल प्रपात के नीचे एक जलकुंड बना हुआ है जहां जाने के लिए 294 सीढ़ियां बनी हुई हैं।…

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रविवासरीय:र्आइए इस रविवार हम आपको लेकर चलते हैं विश्व प्रसिद्ध खजूराहो मंदिर

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजूराहो लखनऊ से करीब 300 किलोमीटर और मध्यप्रदेश के सतना से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खजूराहो का अपना एक एयरपोर्ट भी है जहां देश के प्रमुख हवाई अड्डे से नियमित उड़ानें भी उपलब्ध है। छोटा सा शहर, पर पर्यटन के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण। छोटे- बड़े मंझोले होटलों के साथ ही साथ फाइव स्टार होटलों की भरमार। आने वाले पर्यटकों के जेब के अनुसार। प्राचीन समय में यह क्षेत्र वत्स के नाम से तो मध्यकाल में जेजाकभूकति के नाम…

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आज के जीवन में कंप्यूटर शिक्षा की आवश्यकता

विकास कुमार झा, कंप्यूटर मामलों के जानकार, पटना भारत जहाँ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहा है वहीं तकनीकी क्षेत्र में भी काफी प्रगति कर रहा है। डिजिटल इंडिया और विकसित भारत के पथ पर अग्रसर होता हुए भारत नित्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। आधुनिक भारत के सपने में तकनीकी शिक्षा का अहम योगदान होगा जो आनेवाले समय में करोड़ो रोजगारों का सृजन करेगा। आज का युग कंप्यूटर का युग है। आज की तेज़-तर्रार, तकनीकी रूप से संचालित दुनिया में, कंप्यूटर ने हमारे जीवन के लगभग हर पहलू…

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नागरिकता कानून के विरोध के पीछे की हकीकत क्या है

नागरिकता कानून को लेकर एक बार फिर चर्चा आरंभ है, पक्ष और विपक्ष के बड़े-बड़े महारथी वाक्यो और जुमले के तरकश लेकर मैदान में उतर पड़े हैं, कोई इसकी खूबियां बयां कर रहा है तो कोई इसे संविधान का उल्लंघन बता रहा है। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू सिख, पारसी,बौद्ध,जैन समुदाय के भारत में निश्चित अवधि तक रह रहे शरणार्थियों को भारत की ,नागरिकता प्रदान करने के लिए यह कानून बनाया गया है ,इस अधिनियम में मुस्लिम समुदाय शामिल नहीं किया गया है,इसी को लेकर…

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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे

भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही सत्ता में आने पर जब सरकार नागरिकों के कर से निर्मित ‘लोकनिधि’ से ही अपने वायदे पूरे करती है, तो निधि के इस दुरुपयोग से विकास की गति भी धीमी पड़ती है। अरे! तुम क्या…

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